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शिमला ! सेब की पैकेजिंग सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी और कृषि इनपुट पर सब्सिडी खत्म करने से नाराज सड़कों पर उतर आए हैं। सेब बहुल क्षेत्र ठियोग और रोहड़ू में बड़ी संख्या में बागवान कार्टन की आसमान छू रही कीमतों का विरोध जाहिर कर रहे हैं। ठियोग में पीडब्लूडी रैस्ट हाउस से एसडीएम दफ्तर तक बागवान रोष मार्च निकाला। रोहड़ू में भी काफी संख्या में बागवानों ने सड़कों पर उतर कर रोष जाहिर किया। पैकेजिंग मैटेरियल की बढ़ती कीमतों ने 5000 करोड़ रुपए से अधिक के सेब उद्योग पर संकट खड़ा कर दिया है। कार्टन के साथ साथ खाद, बीज और दवाइयां भी महंगी हुई है। सरकार द्वारा विभिन्न कृषि इनपुट पर मिलने वाली सब्सिडी लगभग खत्म कर दी गई है। इससे बागवानी निरंतर घाटे का सौदा साबित हो रही है। रोहड़ू में प्रदर्शन के दौरान किसान नेता संजय चौहान ने बताया कि निजी कंपनियों को फायदा देने की मंशा से कार्टन की कीमतों ने बागवानों की कमर तोड़कर रख दी है। मोदी सरकार ने कार्टन पर जीएसटी की दर 12 से बढ़ाकर 18 फीसदी की है। इसके बाद मोहन फाइबर की ट्रे बीते साल 5 रुपए तक मिल जाती थी। इस साल एक ट्रे के लिए 8 रुपए देने पड़ रहे हैं। प्रति पेटी 6 से 7 ट्रे लगती है, यानी इस बार 48 से 56 रुपए प्रति पेटी और 80 रुपए की पेटी लग रही है। कार्टन, तुड़ान, ग्रेडिंग, पैकिंग, भाड़ा, सब मिलाकर 20 से 25 किलो की पेटी को मंडी तक पहुंचाने में 300 से 400 रुपए तक की लागत आ रही है। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद कार्टन और ट्रे के दाम में कभी भी इतना इजाफा एक साथ नहीं हुआ।
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