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शिमला ! हिमाचल प्रदेश में चल रहीं करीब 3300 निजी बसों के पहिए थम सकते हैं। प्रदेश निजी बस चालक-परिचालक यूनियन ने सरकार पर मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। प्रदेशाध्यक्ष कमल ठाकुर ने कहा कि मई 2021 में यूनियन ने निजी बसों के चालकों-परिचालकों के लिए ठोस नीति बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री और निदेशक परिवहन विभाग को ज्ञापन सौंपे थे। एक साल बाद भी मांग पर सुनवाई नहीं हुई है। मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव से भी मुलाकात कर मांगें उठाई थीं, लेकिन कोरे आश्वासन ही मिले। अब अगर एक माह में सरकार कोई ठोस फैसला नहीं लेती तो निजी बसों के चालकों-परिचालकों का सम्मेलन बुलाकर हड़ताल की घोषणा की जाएगी। कमल ने बताया कि प्रदेश में चल रही निजी बसों में करीब 12 हजार चालक-परिचालक स्थायी, अस्थायी तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। सरकार इस वर्ग की अनदेखी कर रही है। ऑपरेटरों का भी जब मन करता है तो स्टाफ को बसों से उतार दिया जाता है। रोजगार की कोई सुरक्षा नहीं है।यूनियन की मांग है कि ऑपरेटरों के लिए चालकों-परिचालकों का श्रम विभाग में पंजीकरण अनिवार्य किया जाए। एचआरटीसी में जब भी चालकों-परिचालकों की भर्ती हो तो निजी बसों के अनुभवी चालकों-परिचालकों को 25 फीसदी का कोटा दिया जाए। इनका वेतन निर्धारित कर खाते में डालने, ईपीएफ की सुविधा, निजी बसों में लॉग बुक अनिवार्य करने, चालकों-परिचालकों को श्रम विभाग की ओर से सत्यापित आई कार्ड देने, साप्ताहिक अर्जित आकस्मिक राष्ट्रीय त्योहार और मेडिकल छुट्टियां देने, आठ घंटे की ड्यूटी के बाद डबल ओवरटाइम के हिसाब से भुगतान, हेडक्वार्टर से बस के बाहर जाने पर रात्रि भत्ते की सुविधा और बस किराया वृद्धि पर चालकों-परिचालकों के वेतन में वृद्धि की मांग उठाई है। सभी बस अड्डों में एचआरटीसी की तर्ज पर निजी बसों के चालकों-परिचालकों के लिए भी रेस्ट रूम की सुविधा करवाई जाए।
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