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शिमला ! सीटू व हिमाचल किसान सभा राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने जन विरोधी केंद्रीय बजट व ऊना जिला के बाथू-बाथड़ी में अवैध पटाखा फैक्टरी में ब्लास्ट में आठ महिला मजदूरों की मौत के मुद्दे पर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए। शिमला के डीसी ऑफिस पर हुए प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा,डॉ कुलदीप तनवर,संजय चौहान,जगत राम,सत्यवान पुंडीर,बालक राम,हिमी देवी,विनोद बिरसांटा,किशोरी ढटवालिया,रंजीव कुठियाला,राम प्रकाश,दलीप सिंह,हनी,अमित कुमार,डॉ राजेन्द्र चौहान,जगमोहन ठाकुर,डॉ विजय कौशल,सोनिया सब्रवाल,सीमा चौहान व श्याम सिंह आदि मौजूद रहे। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,महासचिव प्रेम गौतम,हिमाचल किसान सभा अध्यक्ष डॉ कुलदीप तनवर व महासचिव डॉ ओंकार शाद ने हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट को मजदूर,किसान व आम जनता विरोधी करार दिया है। मनरेगा के बजट में 38 हज़ार करोड़,मिड डे मील के बजट में एक हज़ार तीन सौ करोड़ रुपये व आंगनबाड़ी के बजट में भारी कटौती की गई है। खाद्य सब्सिडी,फ़र्टिलाइज़र सब्सिडी व अन्य सब्सिडियों में 11 से 31 प्रतिशत की कटौती की गई है जबकि पूंजीपतियों के कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है। यह बजट पूंजीपतियों के पक्ष व आम जनता के विरोध में है। सीटू राज्य कमेटी ने फैक्टरी मालिक,प्रबंधन,श्रम अधिकारी ऊना,उद्योग व बिजली विभाग के अधिकारियों पर हत्या का मुकद्दमा दर्ज़ करने की मांग की है। राज्य कमेटी ने मारे गए आठ मजदूरों के परिवार को 25 लाख,गम्भीर रूप से घायल चौदह मजदूरों को 20 लाख व अन्य घायलों को 10 लाख रुपये मुआवज़ा देने की मांग की है। सीटू ने इस घटना के लिए प्रदेश सरकार,उद्योग,बिजली व श्रम विभाग को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि श्रम विभाग के नाक तले श्रम कार्यालय ऊना के बिल्कुल नजदीक अवैध रूप से पटाखा फैक्टरी चल रही थी। फैक्टरी में बिजली का भी अवैध कनेक्शन था। काफी समय से यह गोरखधंधा चल रहा था। इसलिए फैक्टरी मालिक,प्रबंधन के साथ ही श्रम अधिकारी,उद्योग व बिजली विभाग के अधिकारियों पर तुरन्त एफआईआर दर्ज़ करके उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए व उन पर हत्या का मुकद्दमा दर्ज़ किया जाए। इस पूरे घटनाक्रम से साफ हो गया है कि उक्त फैक्टरी को प्रदेश सरकार व अधिकारियों का खुला संरक्षण था। सीटू राज्य कमेटी ने कहा है कि वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल में अवैध गोरखधंधा व माफिया राज़ चल रहा है। मंडी के सुंदरनगर में अभी हाल ही में अवैध शराब के कारण सात लोगों की मौत हुई है। अब अवैध फैक्टरी के कारण आठ मजदूरों को बेवजह अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस सबसे यह स्पष्ट है कि ठेकेदारों व मालिकों को खुली छूट है। इस से आम जनता व मजदूरों का जीवन संकट में पड़ गया है व उन के जीवन की कोई गारंटी नहीं बची है। इस तरह गरीब आदमी सरकार की इस मिलीभगत के कारण अपनी जान गंवाने को मजबूर है।
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