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शिमला ! सीटू राज्य कमेटी ने हिमाचल प्रदेश के प्राइवेट बस ऑपरेटरों की हड़ताल का पूर्ण समर्थन किया है। राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्राइवेट बस ऑपरेटरों की मांगों को तुरन्त माना जाए व हड़ताल से प्रभावित जनता को राहत प्रदान की जाए। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्राइवेट बस ऑपरेटरों की हड़ताल को ज़ायज़ करार दिया है। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी में पिछले सवा एक वर्ष से ट्रांसपोर्टरों की हालत दयनीय हो गयी है। जहां एक ओर सवारियों की संख्या गिरी है वहीं दूसरी ओर सोशल डिस्टेनसिंग के नियम से बसों में सवारियों की संख्या सीमित करनी पड़ी है। इसके साथ ही डीज़ल की भारी कीमतों से ट्रासंपोर्ट का कारोबार करने मुश्किल हो गया है। इस सबसे एक ओर निजी बसों के मालिक घाटे में चले गए हैं वहीं दुसरी ओर इन निजी बसों में कार्य करने वाले लगभग दस हज़ार ड्राइवर,कंडक्टर व अन्य कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए हैं। उन्होंने कहा है कि देश की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी ज़्यादातर बस संचालक छोटे ट्रांसपोर्टर हैं जो बैंक से कर्जा लेकर निजी बसों को चला रहे हैं। इस सारी पृष्ठभूमि में उन्हें बैंक की किश्त देना भी मुश्किल हो गया है। इसलिये यह बेहद जरूरी है कि प्राइवेट बस ट्रांसपोर्टरों को सरकार की ओर से मदद दी जाए व उनके सभी तरह के टैक्स माफ किये जाएं। उन्हें सरकार द्वारा वर्किंग केपिटल भी सुनिश्चित की जाए। पूरे देश में ट्रांसपोर्ट सेक्टर भारी संकट में है व हिमाचल प्रदेश में भी वस्तुतः यही स्थिति है। इसलिए इसकी रक्षा करना बेहद जरूरी है। इसके लिए सरकार की मदद की भारी दरकार है। सरकार की ट्रांसपोर्ट विरोधी नीतियों से जनता व ट्रांसपोर्ट वर्कर काफी परेशानी में हैं इसलिए सरकार को कैबिनेट बैठक में प्राइवेट बस ट्रांसपोर्टरों की मांगों को पूर्ण करके हड़ताल का तुरन्त समाधान निकालना चाहिए।
शिमला ! सीटू राज्य कमेटी ने हिमाचल प्रदेश के प्राइवेट बस ऑपरेटरों की हड़ताल का पूर्ण समर्थन किया है। राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्राइवेट बस ऑपरेटरों की मांगों को तुरन्त माना जाए व हड़ताल से प्रभावित जनता को राहत प्रदान की जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्राइवेट बस ऑपरेटरों की हड़ताल को ज़ायज़ करार दिया है। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी में पिछले सवा एक वर्ष से ट्रांसपोर्टरों की हालत दयनीय हो गयी है। जहां एक ओर सवारियों की संख्या गिरी है वहीं दूसरी ओर सोशल डिस्टेनसिंग के नियम से बसों में सवारियों की संख्या सीमित करनी पड़ी है। इसके साथ ही डीज़ल की भारी कीमतों से ट्रासंपोर्ट का कारोबार करने मुश्किल हो गया है। इस सबसे एक ओर निजी बसों के मालिक घाटे में चले गए हैं वहीं दुसरी ओर इन निजी बसों में कार्य करने वाले लगभग दस हज़ार ड्राइवर,कंडक्टर व अन्य कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए हैं।
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उन्होंने कहा है कि देश की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी ज़्यादातर बस संचालक छोटे ट्रांसपोर्टर हैं जो बैंक से कर्जा लेकर निजी बसों को चला रहे हैं। इस सारी पृष्ठभूमि में उन्हें बैंक की किश्त देना भी मुश्किल हो गया है। इसलिये यह बेहद जरूरी है कि प्राइवेट बस ट्रांसपोर्टरों को सरकार की ओर से मदद दी जाए व उनके सभी तरह के टैक्स माफ किये जाएं। उन्हें सरकार द्वारा वर्किंग केपिटल भी सुनिश्चित की जाए। पूरे देश में ट्रांसपोर्ट सेक्टर भारी संकट में है व हिमाचल प्रदेश में भी वस्तुतः यही स्थिति है। इसलिए इसकी रक्षा करना बेहद जरूरी है। इसके लिए सरकार की मदद की भारी दरकार है। सरकार की ट्रांसपोर्ट विरोधी नीतियों से जनता व ट्रांसपोर्ट वर्कर काफी परेशानी में हैं इसलिए सरकार को कैबिनेट बैठक में प्राइवेट बस ट्रांसपोर्टरों की मांगों को पूर्ण करके हड़ताल का तुरन्त समाधान निकालना चाहिए।
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