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शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला कमेटी ने आज हिमाचल प्रदेश सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर उसकी विफलताओं व जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध शिमला में आज जोरदार प्रदर्शन किया। उपायक्त कार्यलय से लेकर नाज़ तक जलूस निकाला गया और इस प्रदर्शन में जिला सचिव संजय चौहान, कुलदीप सिंह तंवर, फालमा चौहान, सत्यवान पुंडीर, बालक राम,हिम्मी अनिल ठाकुर, जगमोहन ठाकुर, राजिंद्र चौहान, विजय कौशल, किशोरी डटवालिया, विनोद बिसरांटा, अमित, गौरव, अशोक, संगीता, अमित ठाकुर, विवेक राज, रॉकी, नेहा, नितीश,आदि ने भाग लिया। भाजपा ने 2017 में चुनाव के दौरान जो जनता से वायदे किये थे सरकार में आने के बाद उन्हें अमल में लाने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए हैं। सरकार ने वायदा किया था कि महंगाई कम करेंगे और रोजगार के अवसर सृजित किये जायेंगे। किसानों को फसलों को फसलों का उचित मूल्य दिलवाया जाएगा तथा मजदूरी में वृद्धि की जाएगी। कर्मचारियों से वायदा किया था कि पुरानी पेंशन योजना(OPS) की बहाल की जाएगी तथा आउटसोर्स, ठेका, अंशकालीन व अन्य के लिए नीति बनाई जाएगी। भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 को लागू कर 4 गुणा मुआवजा दिया जाएगा। परन्तु आज तक कोई भी वायदा पूरा नहीं कर पाई है। जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार सत्तासीन हुई है प्रदेश में व्यापक महंगाई, बेरोजगारी व कृषि का संकट निरन्तर बड़ा है। एक ओर सरकार की इन नीतियों के कारण आज प्रदेश पर कर्ज बढ़कर 62000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है और दूसरी ओर सरकार द्वारा लागू की जा रही इन जनविरोधी नीतियों के चलते इन चार वर्षों मे पानी, बिजली, बस किराया, शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं के साथ ही साथ राशन की कीमतों में भारी वृद्धि की गई है जिससे जनता पर आर्थिक बोझ बड़ा है। आज पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य व अन्य आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। खाद्य वस्तुओं की महंगाई की दर पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक है। आज रसोई गैस का घरेलू सिलिंडर 1002₹ और व्यवसायिक सिलिंडर 2250₹ में मिल रहा है। बाज़ार में सरसों का तेल 220₹, दाल 100₹, सब्जियां 40से 100₹ तक बिक रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राशन में कटौती की जा रही है और इसको महंगा किया जा रहा है। इसके कारण आज आम आदमी का चूल्हा जलना भी मुश्किल हो गया है। अब सरकार ने कपड़ा, जूता, खाने पर GST में वृद्धि कर जनता पर और अधिक महंगाई की मार डाल दी है। सरकार कोविड19 के कारण पैदा हुए संकट कॉल में कोई भी राहत जनता को नहीं दे रही है। इन चार वर्षों में सरकार द्वारा रोजगार के अवसर बिल्कुल भी सृजित नहीं किये गए हैं और कोविड 19 के कारण सरकार द्वारा लगाये गए लॉकडाउन से प्रदेश में लाखों लोगों के रोजगार पर संकट आया है। इसमें विशेष रूप से दैनिक ध्याड़ी मजदूरी करने वाले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। पर्यटन, परिवहन, छोटा दुकानदार व अन्य कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। प्रदेश में बेरोजगारी की दर अप्रैल, 2017 में जो 0.5 प्रतिशत थी वह भाजपा सरकार में बढ़कर मई, 2020 में 28.2 प्रतिशत हो गई थी। आज भी प्रदेश में 8.5 लाख पढ़ा लिखा युवा रोजगार कार्यालय में पंजीकृत है और रोजगार के इंतजार में है। इन चार वर्षों में प्रदेश में कृषि व बागवानी का संकट बढ़ा है। किसानों को मण्डियों में उनके उत्पाद का उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। मण्डियों में किसानों का शोषण बढ़ा है। किसान प्रदेश में सभी फसलों के लिएसरकार द्वारा कृषि व बागवानी विभाग के माध्यम से खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर दी जाने वाली सब्सिडी लगभग समाप्त कर दी है। चार वर्षों में खाद की कीमतों में 375 से 700 रुपए प्रति बैग तक वृद्धि की गई हैं। कीटनाशकों, फफूंदीनाशको व अन्य लागत वस्तुओं की कीमतों में 40 से 100 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। आज भी किसानों व बागवानो के करोड़ों रुपए का भुगतान सरकार ने कई वर्षों से करना है। भाजपा के शासनकाल में प्रदेश में महिलाओं, दलित व अन्य सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों पर हमले बढ़े हैं। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों व दलितो पर हमले में निरन्तर वृद्धि हुई है और सरकार इन पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से विफल रही है। इन चार वर्षों में प्रदेश में नशे का कारोबार व्यापक रूप से फैल रहा है और सरकार इस पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही है। आज प्रदेश का युवा वर्ग बेरोजगारी के चलते नशे की चपेट में आ गया है। सीपीएम भाजपा सरकार की इन मजदूर, किसान व आमजन विरोधी नवउदारवादी व साम्प्रदायिकता की नीतियों के विरुद्ध तथा वैकल्पिक नीतियों के लिए आंदोलन जारी रखेगी।
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