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शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) का मानना है कि प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार व नगर निगम शिमला में सत्तासीन हुई है शिमला शहर के विकास पर लगभग ग्रहण लग गया है तथा विकास का पहियों बिल्कुल थम गया है। यहां तक कि पूर्व नगर निगम द्वारा शहर के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं को भी पूरा करने में पूर्णतः विफल रही है। पार्टी सरकार व नगर निगम की इस भेदभावपूर्ण व लचर कार्यप्रणाली की कढ़ी निंदा करती है तथा शिमला शहर में ठप पड़े विकासात्मक कार्यों को तुरंत गति प्रदान करने की मांग करती है। अन्यथा सरकार व नगर निगम के इस भेदभावपूर्ण रवय्ये के प्रति जनता को लामबंद कर आंदोलन किया जाएगा। सरकार व नगर निगम के भेदभावपूर्ण रवैये का एक जीता जागता उदाहरण शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए 200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली बहुयामी शिमला रोपवे परियोजना के निर्माण कार्य को आरम्भ न कर पूरी तरह से नजरअंदाज करना है। यह रोपवे टूटीकंडी से मालरोड तक बनना था तथा इसकी आधारशिला 23 जून, 2015 को रखी गई थी। इसकी लम्बाई 3600 मीटर है तथा इसमें एक घण्टे में करीब 1000 व्यक्ति एक ओर सफर कर सकते है। इससे शिमला शहर में न केवल पर्यटन को बढ़ावा बल्कि शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या से भी निजात मिलनी थी। इससे नगर निगम शिमला को प्रतिवर्ष करीब 11 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होनी थी जिससे शहर के विकास को गति प्रदान की जा सकती थी। वर्ष 2015 में प्रदेश में तीन रोपवे परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई थी। इनमे शिमला में टूटीकंडी से मालरोड, कांगड़ा में धर्मशाला से मकलोडगंज तथा हिमानी चामुंडा रोपवे थे तथा इनके शिलान्यास भी किये गए थे। परन्तु आज धर्मशाला से मकलोडगंज के लिए रोपवे आरम्भ हो गया है और शिमला में टूटीकंडी से मालरोड का कार्य भी सरकार द्वारा अभी तक आरम्भ नही किया गया है। सरकार इस बहुयामी परियोजना के कार्य कराने में कोई भी रुचि नहीं दिखा रही है। जिससे सरकार का शिमला शहर के विकास करवाने में भेदभावपूर्ण रवय्या स्पष्ट होता है और शहर के विधायक जो सरकार में शहरी विकास मंत्री भी है की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगता है। जहां शिमला शहर की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इसकी सुंदरता बनाए रखने के लिए विकास की योजनाये बनाकर इसपर अमल कर दिशा तय की जानी चाहिए थी, वहीं आज शहर में जो भी थोड़े बहुत कार्य किये जा रहें हैं वह केवल मात्र सरकार के चेहतों व चन्द ठेकेदारों को फायदा देने के लिए तथा उनकी इच्छा अनुसार किये जा रहे हैं। शहर में ठेकेदारों को फायदा देने के लिए केवल मात्र कंक्रीट के डंगे लगाने का कार्य किया जा रहा है जिससे शिमला शहर की हरियाली व सुंदरता को विकृत किया जा रहा है। इससे सरकार, नगर निगम शिमला व शहरी विकास मंत्री की शहर के प्रति भेदभावपूर्ण व लचर कार्यप्रणाली उजागर होती है और स्पष्टरूप में शिमला शहर के विकास पर ग्रहण लग गया है। इससे आज शहर की छवि धूमिल हो रही है और शिमला शहर जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहाड़ो की रानी के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुका था उसे खोने की कगार पर है। सीपीएम शहर की जनता से आग्रह करती है कि सरकार व नगर निगम की शिमला के शहर के विकास के प्रति इस भेदभावपूर्ण व लचर रवय्ये के विरुद्ध एकजुट होकर इनकी भेदभावपूर्ण नीतियों को बदलने के लिए सब मिलकर संघर्ष करे और इस शिमला शहर के गौरव को बचाए।
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