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शिमला ! मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को पत्र लिख कर ग्रामीण क्षेत्रों की तर्ज पर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में भी मुफ्त पेयजल योजना के लाभ दिए जाने की मांग की है और कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के वर्गीकरण के आधार पर कुछ लोगों को इस योजना के लाभों से वंचित करना न्यासंगत नहीं है। भाजपा नेता ने कहा प्रधानमन्त्री नरेन्दर मोदी जी के महत्वाकांक्षी “जल जीवन मिशन” के तहत सभी को पेयजल उपलब्ध हो इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने एक कदम आगे बढ़ कर ऐतिहासिक निर्णय लिया है ग्रामीण क्षेत्रों को मुफ्त पेयजल योजना से हिमाचल की 90% ग्रामीण जनता लाभान्वित होगी. परन्तु इस योजना का एक खराब पहलू यह है कि इस योजना में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के वर्गीकरण के चलते 10% शहरी जनसँख्या इस योजना के लाभों से वंचित हो रही है। प्रवीण कुमार शर्मा ने कहा कि वर्ष 2011की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल की 90% आबादी गाँवों में रहती है और उन सभी को इस योजना का लाभ मिल रहा है ऐसे में मात्र 10% लोगों को इस आधार पर कि वो शहरों में रहते हैं उन्हें इस योजना से वंचित करना बिलकुल भी उचित नहीं है , यह धारणा पूरी तरह से गलत है कि शहरों में सभी संपन्न लोग रहते हैं और वह सुविधाओं का मूल्य चूका सकते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि शहरों में भी गरीबों की काफी अधिक संख्या है। प्रवीण कुमार शर्मा ने पत्र में कहा कि शहरी क्षेत्रों में मंडी नगर निगम का ही उदाहरण लिया जाये तो यहाँ पर इस योजना के चलते सपष्ट भेदभाव नजर आ रहा है हाल ही में जो ग्रामीण क्षेत्र नगर निगम में शामिल किये गए हैं उनमे तो पानी का बिल आ रहा है परन्तु साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त पेयजल योजना के कारण लोगों में रोष होना स्वाभाविक है। प्रवीण कुमार शर्मा ने पत्र में मुख्यमंत्री से आग्रह किया है की भारतीय सविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है हाँ यह अवश्य है कि अमीर और गरीबों में सरकारी योजनाओं के लाभों को लेकर वर्गीकरण किया जा सकता है पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के आधार पर वर्गीकरण बिल्कुल भी उचित नहीं है खासकर तब जब शहरी क्षेत्रों में पहले ही जनता बहुत से टेक्सों की मार झेल रही हो, इसलिए उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए शहरी क्षेत्रों की जनता को भी मुफ्त पेयजल योजना के लाभ दिए जाएँ।
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