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शिमला ! आज समूचा प्रदेश हिमाचल के प्रथम एवं यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की 115 वीं जयन्ती पर विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा उन्हें याद करते हुए अपनी कृतज्ञता ज्ञापित कर रहा है। इसी शृंखला में हि.प्र.वि.वि. सभागार में "डॉ. परमार पीठ" तथा 'कला संस्कृति भाषा अकादमी' द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में उन्हें खूब याद किया गया । मुख्य अतिथि एवं अन्य विशिष्ट जनों द्वारा माता सरस्वती तथा डॉ. परमार के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किये जाने उपरांत विश्वविद्यालय के कुलगीत से आरम्भ हुए इस भव्य समारोह में जहाँ 'परमार पीठ' के अध्यक्ष डॉ.ओमप्रकाश शर्मा ने अभ्यागतों का अभिनंदन किया वहीं उन द्वारा लिखित तथा अकादमी द्वारा प्रकाशित हिमाचली लिपि आधारित पुस्तक का भी लोकार्पण हुआ जो आने वाले समय में शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी । समारोह के मुख्य वक्ता स्वतंत्रता सेनानी परिवार से जुड़े तथा 'पझौता स्वतंत्रता सेनानी समिति' के अध्यक्ष जयप्रकाश चौहान ने कहा कि वैसे तो आज समूचा प्रदेश अपने स्तर पर परमार जयन्ती मना रहा है किंतु विश्वविद्यालय के इस आयोजन को इसलिए सबसे महत्वपूर्ण माना जा सता है क्योंकि यहाँ का संदेश बहुत व्यापक है । उन्होंने डॉ.परमार से जुड़े अनेक संस्मरणों को सुनाकर उनकी सरलता, सहजता व सौम्यता के साथ उनके चिंतन व दूरदृष्टि से बखूबी परिचित कराया । डॉ.परमार का निकट सान्निध्य प्राप्त वैद्य सूरतसिंह की पुत्रवधू शकुंतला चौहान ने हिंदी तथा पहाड़ी मिश्रित भाषा में डॉ. परमार के ठेठ ग्रामीण अंदाज भरे लोकसंस्कृति परक प्रेम से अवगत कराया । अकादमी सचिव डॉ.कर्मसिंह तथा शोध संस्थान नेरी से पधारे चेतराम गर्ग ने भी डॉ.परमार के योगदान को खूब याद किया । मुख्य अतिथि माननीय कुलपति हि.प्र.विश्वविद्यालय आचार्य सिकंदर ने अपने संक्षिप्त, सारगर्भित तथा सुललित वक्तव्य से सभी का मन मोह लिया । संपादक हितेंद्र शर्मा द्वारा हिमाचल अकादमी के फेसबुक पेज पर इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया जिससे हजारों दर्शक आनन्दाभिभूत होते रहे।
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