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शिमला ! परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ने आज यहां कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन (संशोधन) नियम, 2021 के तहत सड़क दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में अंकित नियम 215 से 235 के संशोधित प्रारूप को सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि संशोधित नियमों के लागू होने के उपरान्त दुर्घटना के समय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 146 के अनुसार वाहन का वैध बीमा नहीं होने पर प्रभावितों को न्यायाधिकरण के निर्देशानुसार नुकसान की भरपाई होगी। इस संशोधन के उपरान्त दावा प्रक्रिया में तेजी आएगी और दावा अदायगी समयबद्ध सुनिश्चित होगी। परिवहन मंत्री ने कहा कि नियमों में संशोधन होने से प्रार्थी के हितों की सुरक्षा का उचित प्रावधान होगा। दुर्घटना में मृत्यु, शारीरिक चोट या सम्पति को नुकसान होने पर मोटर वाहन नहीं छोड़ा जाएगा। बीमा पाॅलिसी में तीसरा पक्ष जोखिम (थर्ड पार्टी रिस्क) कवर न होने पर वाहन को पुलिस द्वारा बेचने एवं प्रभावितों को मुआवजे का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि नियमों में दुर्घटना बीमा के अन्तर्गत आवेदन से लेकर समयबद्ध अदायगी तक की प्रक्रिया का सरलीकरण एवं त्वरित अदायगी का प्रावधान किया गया है। लाभार्थी के खाते में आरटीजीएस या एनईएफटी के माध्यम से राशि का सीधा हस्तांतरण किया जाएगा। दुर्घटना में एक से अधिक वाहन शामिल होने की स्थिति में सभी वाहनों को पुलिस रिपोर्ट के आधार पर दावा राशि का भुगतान किया जाएगा। दावा पक्ष यदि गवाहों को बुलाने का खर्च वहन करने में असमर्थ है तो उस स्थिति में खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। विकलांगता दावों पर न्यायाधिकरण द्वारा चिकित्सा बोर्ड गठित कर रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर देने का प्रावधान भी किया गया है। प्रस्तावित संशोधनों पर जनसाधारण के आक्षेप अथवा सुझाव प्राप्त करने के लिए इन्हें राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा, जो कि विभाग की वैबसाईटhttps:/himachal.nic.in/transport पर भी उपलब्ध होगें। एक माह की अवधि के भीतर प्राप्त आक्षेप एवं सुझाव के निपटारे के उपरान्त इन नियमों को अन्तिम स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
शिमला ! परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ने आज यहां कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन (संशोधन) नियम, 2021 के तहत सड़क दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में अंकित नियम 215 से 235 के संशोधित प्रारूप को सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि संशोधित नियमों के लागू होने के उपरान्त दुर्घटना के समय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 146 के अनुसार वाहन का वैध बीमा नहीं होने पर प्रभावितों को न्यायाधिकरण के निर्देशानुसार नुकसान की भरपाई होगी। इस संशोधन के उपरान्त दावा प्रक्रिया में तेजी आएगी और दावा अदायगी समयबद्ध सुनिश्चित होगी।
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परिवहन मंत्री ने कहा कि नियमों में संशोधन होने से प्रार्थी के हितों की सुरक्षा का उचित प्रावधान होगा। दुर्घटना में मृत्यु, शारीरिक चोट या सम्पति को नुकसान होने पर मोटर वाहन नहीं छोड़ा जाएगा। बीमा पाॅलिसी में तीसरा पक्ष जोखिम (थर्ड पार्टी रिस्क) कवर न होने पर वाहन को पुलिस द्वारा बेचने एवं प्रभावितों को मुआवजे का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि नियमों में दुर्घटना बीमा के अन्तर्गत आवेदन से लेकर समयबद्ध अदायगी तक की प्रक्रिया का सरलीकरण एवं त्वरित अदायगी का प्रावधान किया गया है। लाभार्थी के खाते में आरटीजीएस या एनईएफटी के माध्यम से राशि का सीधा हस्तांतरण किया जाएगा। दुर्घटना में एक से अधिक वाहन शामिल होने की स्थिति में सभी वाहनों को पुलिस रिपोर्ट के आधार पर दावा राशि का भुगतान किया जाएगा। दावा पक्ष यदि गवाहों को बुलाने का खर्च वहन करने में असमर्थ है तो उस स्थिति में खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। विकलांगता दावों पर न्यायाधिकरण द्वारा चिकित्सा बोर्ड गठित कर रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर देने का प्रावधान भी किया गया है।
प्रस्तावित संशोधनों पर जनसाधारण के आक्षेप अथवा सुझाव प्राप्त करने के लिए इन्हें राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा, जो कि विभाग की वैबसाईटhttps:/himachal.nic.in/transport पर भी उपलब्ध होगें। एक माह की अवधि के भीतर प्राप्त आक्षेप एवं सुझाव के निपटारे के उपरान्त इन नियमों को अन्तिम स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
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