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शिमला ! वागीशा कथा संचयन का विमोचन मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं कथाकार गीताश्री द्वारा रोटरी टाउन हाल में किया गया। कार्यक्रम में वशिष्ठ अतिथि उषा बन्दे, हिमाचल के चर्चित कथाकार एस आर हरनोट, वरिष्ठ लेखक समीक्षक श्रीनिवास जोशी , पूर्व निदेशक भाषा कला एवं संस्कृति विभाग डाॅ के आर भारती , डाॅ देवेन्द्र गुप्ता , प्रसिद्ध कवि आत्म रंजन, वरिष्ठ साहित्यकार सुदर्शन वशिष्ठ की उपस्थिति ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई । साक्षी शर्मा और अभिषेक तिवारी के मंच संचालन ने कार्यक्रम मे अन्त तक रोचकता बनाए रखी। हमारे शिमला शहर की वादियों में गीताश्री जी ने स्पष्टता से कहानी के कलेवर पर कहा। कहानी रचना की दृष्टि से बहुत समय और धैर्य मांगती है। हर घटना और हर रिपोर्टिंग कहानी नहीं है। हिमाचली महिला कथाकारों में नवोदित कथाकारों संदेश देते हुए डा योजना रावत जी ने कहा कि रचना में ताप और ललकार होना जरूरी है। डाॅ कुँवर दिनेश सिंह जी वागीशा कथा संचयन की बाइस कहानियों पर विस्तृत चर्चा की। डाॅ मीनाक्षी पाल जी ने वागीशा कथा संचयन पर विशेष टिप्पणी करते हुए उषा बन्दे की स्पेनिश माॅस , रेखा वशिष्ठ की कहानी 'उसका सच' और सुदर्शन पटियाला की कहानी मोहभंग विशेष रूप से पसंद किया।कहानी तत्व , कलेवर विषय वस्तु पर विस्तार से चर्चा की। हिमाचल के प्रतिष्ठित समीक्षक समालोचक डाॅ हेमराज कौशिक ने हिमाचली महिला कथाकारों के समग्र इतिहास पर आलेख पढ़ा और आज की युवा कथाकारों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया। संक्षिप्त में हिमाचली महिला कथाकारों की रचना धर्मिता रचना कर्म को वशिष्ठ पहचान दिलाने में वागीशा कथा संचयन मील का पत्थर साबित होगी ऐसा मेरा विश्वास है।
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