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शिमला ! हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला ने 10 और 11 अगस्त 2021 को राष्ट्रीय सोवा रिग्पा संस्थान, लेह, लद्दाख के वन विभाग के लिए ‘क्षमता निर्माण कार्यशाला’ का आयोजन किया । डॉ॰ वनीत जिष्टू, वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण समन्वयक ने कार्यक्रम की शुरुआत की और प्रतिभागियों को दो दिवसीय कार्यशाला के बारे में अवगत कराया । उन्होंने प्रतिभागियों को रेड+ और वर्तमान परिदृश्य में इसके महत्व के बारे में जानकारी दी । मुख्य अतिथि डॉ॰ पदमा गुरमेत प्रभारी निदेशक, राष्ट्रीय सोवा रिग्पा संस्थान, लेह, ने इस कार्यक्रम को करने के लिए हिमालय वन अनुसंधान संस्थान, शिमला की सराहना की । उन्होंने कहा कि यह लद्दाख के संदर्भ में बहुत उपयुक्त है क्योंकि लद्दाख को कार्बन न्यूट्रल बनाना हमारे प्रधानमंत्री का सपना था । उन्होंने आगे कहा कि जमीनी स्तर से इनपुट के साथ एक ठोस योजना विकसित की जानी चाहिए । रेड+ प्लस योजना संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के तहत सहमत एक कार्यक्रम है । इस योजना के तहत वनों की कटाई और वन क्षरण से उत्सर्जन को कम करने हेतु योजना तैयार करना है । पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून को भारत में रेड+ से संबन्धित निष्पादन का कार्य सौंपा है । रक्षोपाय सूचना प्रणाली की तैयारी व्यापक परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से की जाने वाली गतिविधियों में से एक है । भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून ने भारत में रेड+ के कार्यान्वयन के लिए सुरक्षा सूचना प्रणाली पर एक मसौदा दस्तावेज तैयार किया है । इस प्रारूप दस्तावेज़ को और बेहतर बनाने के लिए वन विभागों/लाइन विभागों/संस्थानों/गैर सरकारी संगठनों से मूल्यवान सुझावों की आवश्यकता है । इसलिए, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून, देश भर में स्थित अपने संस्थानों में ऑनलाइन/ऑफलाइन हितधारक परामर्श आयोजित करने की योजना बना रहा है । विशेष अतिथि के रूप में श्री मोहम्मद अली, डीएफओ लेह, ने वन अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए हिमालय वन अनुसंधान संस्थान, शिमला का आभार व्यक्त किया । उन्होंने कहा कि हिमालय वन अनुसंधान संस्थान, शिमला, की टीम ने वन विभागों की क्षमता निर्माण के लिए लंबी दूरी तय की है । डॉ संदीप शर्मा, वैज्ञानिक समूह समन्वयक अनुसंधान, एचएफआरआई ने मुख्य अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया और उन्हें इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व से अवगत कराया । उन्होंने हाल ही में प्रकाशित आईपीसीसी रिपोर्ट और देश के लिए संभावित खतरों पर बताया कि हमे पर्यावरण के प्रति और अधिक सचेत होने की जरूरत हैं । डॉ. वी आर एस रावत, पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक ने वर्चुअल माध्यम से, यू॰एन॰एफ॰सी॰सी॰ के रेड+ तंत्र के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी । उन्होंने भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के लिए तैयार की गयी रेड+ रणनीति के बारे में भी विस्तार से
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