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शिमला ! रक्षा विशेषज्ञ रि० मेजर जनरल जीडी बक्शी हिमाचल प्रदेश के परागपुर पहुंचे तो उनके एक बयान सोशल मीडिया में वायरल होने लगा। इस पर कांग्रेस ने भी खूब बवाल काटा। वायरल वीडियो में जीडी बक्शी ने देश की आजादी में महात्मा गांधी के योगदान को कमतर आंका। इसपर बवाल मचना तो लाजमी ही है। साथ ही बवाल काट रहे कांग्रेसी नेता सुरिंदर मनकोटिया ने भी अभिनेत्री कंगना रनौत के उस बयान पर कार्यवाही करने की मांग की है। जिसपर कंगना ने कहा था कि हमें आजादी 2014 में मिली है। मनकोटिया यहां नहीं रुके उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम, सरला शर्मा व पंडित सुशील रत्न की धरती पर महात्मा गांधी अपमान कांग्रेस व हिमाचल प्रदेश के लोग कभी सहन नहीं करेंगे। संजय पराशर के आजाद हिंद फौज के सैनिकों के परिजनों के सम्मान समारोह में रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बक्शी आए हुए थे। यहां जीडी बक्शी ने देश की आजादी में अहिंसा के योगदान को नकारा और महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू को कमतर आंका। जब यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो कांग्रेस ने जमकर बवाल काटा। जसवां परागपुर के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सुरिंदर मनकोटिया ने पूर्व मेजर जनरल जीडी बक्शी के उस बयान पर आपत्ति जताई है। जिसमें उन्होंने देश की आजादी में आजाद हिंद फौज का योगदान तो बताया लेकिन महात्मा गांधी के योगदान को नकारा। जीडी बक्शी ने परागपुर में आजाद हिंद फौज के सिपाहियों के परिजनों के सम्मान समारोह में यह शब्द कहे। बीते 9 नवम्बर को हुए कार्यक्रम में जीडी बक्शी ने कहा कि यह वृतांत बताया जा रहा है कि दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, अरे 26 हजार आजाद हिंद फौज के सिपाहियों ने कुर्बानी दी, तब हमें आजादी मिली है। वहीं रि० मेजर जनरल जी डी बक्शी के बयानों पर जसवां परागपुर ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष सुरिंदर मनकोटिया ने तीखा पलटवार किया है। मनकोटिया ने कहा की सेवानिवृत मेजर जनरल जी डी बक्शी ने देवताओं और फौजियों की धरती हिमाचल प्रदेश के प्रागपुर कस्बे में आकर अपने व्यानों से गांधी और नेहरू का अपमान किया है। इतिहास को बदलने की कोशिश की है। बक्शी ने सैनिक से हटकर तथाकथित इतिहासकार बनके तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश करके गांधी और दुसरे महान स्वतंत्रता सैनानियों का अपमान किया है। उनके स्वतंत्रता अंदोलन में किए गए योगदान को कम करने का अपराध किया है। आप जैसी शख्सियत से सैनिकों की धरती हिमाचल प्रदेश को ऐसे शब्दों की उम्मीद नहीं थी। मनकोटिया ने सेवानिवृत्त मेजर जनरल को कहा कि आज आपने वर्तमान बीजेपी के रंग में रंग कर, राष्ट्रपिता के आजादी के योगदान पर प्रश्नचिन्ह लगाकर आपने राष्ट्रपिता का अपमान किया है। आप खुलकर भाजपा का प्रचार करिए। लेकिन सेना, जो हमारी आन वान और शान हैं। शौर्य को ढाल बनाकर राजनीति न करें। खुलकर भाजपा की सदस्यता लेकर राजनीति करिए। हम सेना और सैनिकों का सम्मान करते हैं। लेकिन आप एक सैनिक होकर किसी अंग्रेज नेता के लेख का हवाला देकर और उसको आधार बनाकर राष्ट्रपिता का अपमान कर रहें हैं। आपको उस अंग्रेज पर ज्यादा भरोसा है। जिस अंग्रेज प्रधानमंत्री क्लिमैंट रिचर्ड ऐटली को 1947 में सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने अपने साथियों जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लव भाई पटेल आदि के सहयोग से भारत से भगा दिया था। जिनका विवरण हजारों शोधकर्ताओं के लेखों में मिलता है। आप उन पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। एक ऐसे अंग्रेज प्रधानमंत्री के कहे गए शब्दों पर भरोसा कर रहे हैं। जिन्हें भारत जैसे देश को खोने का मलाल था। सेवानिवृत्त मेजर जनरल बक्शी ने जहां महात्मा गांधी का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वहीं उस व्यक्ति ने जो हर वक्त हाथ में महात्मा गांधी की फोटो वाला मोमेंटो लेकर घूमते रहते हैं। उन्होंने भी बक्शी को हिमाचल प्रदेश के प्रागपुर कस्बे में बुलाकर यहां की जनता और सैनिकों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई है। प्रदेश के लोग और सैनिक मेजर जनरल बक्शी और उनको बुलाने वाले व्यक्ति के विवादास्पद और खंडित करने वाले बयान को कभी भूलेंगे नहीं। क्योंकि भारत को स्वतंत्रता दिलाने वाले अहिंसा के पुजारी और दुसरे हजारों स्वतंत्रता सैनानियों को कम आंकना जैसे घिनोने, तथ्यहीन मनघडंत व्यान देने वाले आधुनिक तथाकथित पिछलग्गूओं पर जनता नजर गढ़ाए हुए है। यह ठीक है कि सुभाष चंद्र बोस और उनकी आजाद हिंद फौज की कुर्बानियों को देश कभी भुला नहीं सकता। तो यह भी अटल सत्य है कि महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई, लाल बहादुर शास्त्री, जवाहरलाल नेहरु, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय, चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडेय, भगत सिंह, भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, सरोजनी नायडू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, बिरसा मूंडे, अशफाक़उल्ला खान, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, राम प्रसाद बिस्मिल, सुखदेव थापर, शिवराम राजगुरु, खुदीराम बोस, दुर्गावती देवी (दुर्गा भाभी), गोपाल कृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय, शहीद उधम सिंह, सरला शर्मा, सुशील रतन, बाबा कांशी राम पहाड़ी गांधी आदि हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को कमतर आंकना और आपसी तुलना करना घोर अपमान और अपराध है। मेजर जनरल बक्शी और समारोह करने वालों ने मात्र महात्मा गांधी का ही अपमान नहीं किया है। बल्कि पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम की धरती पर कदम रखकर। उनके योगदान को कम एहमियत देकर, उनका भी अपमान किया है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इन वीरों के नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखे है। ये सब अपने अकेले के दम पर अपनी युवावस्था में सब कुछ त्याग कर देश की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। आज हमारा भारतवर्ष अंग्रेजों से इन विभूतियों की वजह से आजाद है।
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