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शिमला ! राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज राजभवन में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा हिमाचल प्रदेश के वनस्पति और जीव पर आधारित दो पुस्तकों का विमोचन किया। इन पुस्तकों में वनस्पति और जीव का दस्तावेज़ीकरण वैज्ञानिक आधार पर किया गया है। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक विशाल हिमालयी राज्य है, जिसकी ऊंचाई और जलवायु में काफी भिन्नता है। सभी हिमालय पर्वतमालाएँ इस राज्य को काटती हैं और इसकी ऊँचाई और भू-भाग पहुंच के योग्य नहीं हैं। इस राज्य की जीव-जंतुओं की विविधता का दस्तावेजीकरण करना एक बड़ा और कठिन काम है। उन्होंने इस कार्य को पूरा करने के लिए भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विलुप्त और संकटग्रस्त प्रजातियों के साथ जीवों की विविधता में काफी समृद्ध है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने प्रभावी संरक्षण, प्रबंधन और स्थायी उपयोग के लिए उनको समझने के लिए राज्य की जीव विविधता का दस्तावेजीकरण करने का एक बड़ा प्रयास किया है। यह पुस्तक शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, वनवासियों और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधकों के लिए काफी लाभप्रद सिद्ध होगी। श्री आर्लेकर ने पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि भविष्य में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिक हिमाचल के लिए और अधिक योगदान देंगे। संस्थान की निदेशक डॉ धृति बनर्जी ने ‘हिमाचल प्रदेश के जीवों’ पर आधारित पुस्तक के विमोचन के लिए राज्यपाल का आभार व्यक्त किया। राजयपाल के सचिव श्री विवेक भाटिया, मुख्य अरण्यपाल श्री राजीव कुमार, पूर्व निदेशक, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण डॉ. के. वेंकटरमन, निदेशक, एच.एफ.आर.आई. शिमला श्री शेर सिंह सावंत, प्रभारी अधिकारी, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण डॉ अवतार कौर तथा अन्य वैज्ञानिक भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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