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शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला कमेटी शिमला की बैठक पार्टी कार्यालय में आयोजित की गई और इसमें अन्य मुद्दों के साथ शिमला नगर निगम चुनाव को लेकर चर्चा की गई। पार्टी नगर निगम चुनाव में भाजपा के द्वारा जनता पर महंगाई, बेरोजगारी व आर्थिक बोझ डालने वाली नीतियों के विरुद्ध आमजन के हित की वैकल्पिक नीतियों व भाजपा को हराने के लिए वाम जनवादी व धर्मनिरपेक्ष मोर्चा बनाकर जनता के लिए एक शशक्त विकल्प के रूप में चुनाव लड़ेगी। इस चुनाव में पार्टी नगर निगम में भाजपा के 5 वर्षों के विफल कार्यकाल और ट्रिपल इंजन की सरकार होने के बावजूद इस दौरान शिमला शहर के लिए कोई नई परियोजना न ला पाना तथा सीपीएम के नेतृत्व में पूर्व नगर निगम के कार्यकाल में लम्बे संघर्ष के बाद लाई गई परियोजनाएं जिसमे मुख्यतः स्मार्ट सिटी, विश्व बैंक से 125 मिलियन डॉलर की पेयजल आपूर्ति व सीवरेज की परियोजना, अम्रुत, टूटीकंडी रोपवे, शहरी गरीब के लिए आवास व तहबाजारी करने वालों के लिए आजीविका मिशन के अतिरिक्त पार्किंग व अन्य परियोजनाओं को सही तरीके से लागू करने में विफल रहने को मुख्य मुद्दा बनाया जाएगा। इस बैठक में राज्य सचिव कॉ ओंकार शाद, जिला सचिव संजय चौहान के अतिरिक्त देवकी नद, जगमोहन ठाकुर, कुलदीप, बालक राम, अजय दुलटा, सत्यवान, रीना सिंह, अनिल ठाकुर, संदीप वर्मा, विजय राजटा व मदन नेगी ने भी भाग लिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि नगर निगम शिमला चुनाव को लेकर एक चुनाव समिति का गठन होगा जिसमें शिमला में कार्यरत सभी राज्य कमेटी, जिला कमेटी व लोकल कमेटी के सभी सदस्य शामिल होंगे। आगामी एक सप्ताह में वार्ड स्तर पर चुनाव कमेटियों का गठन कर प्रत्याशियों के चुनाव व प्रचार प्रसार के लिए कार्य किया जाएगा। पार्टी जनता के विभिन्न वर्गों को साथ लेकर इस चुनाव में उतरेगी। भाजपा ने नगर निगम में 5 वर्षों के कार्यकाल में केवल जनविरोधी नीतियों को लागू किया जिसमें पेयजल जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के निजीकरण किया तथा पानी, कूड़ा उठाने की फीस, प्रॉपर्टी टैक्स, किराया व अन्य सेवाओं की दरों में वृद्धि कर महंगाई बढ़ाकर जनता पर केवल आर्थिक बोझ डालने का कार्य किया है। कोरोना काल में नगर निगम कोई भी राहत जनता को देने में विफल रही है। आज भाजपा की इन जनविरोधी नीतियों के चलते सभी वर्गों जिसमें मजदूर, कर्मचारी, कारोबारी, छात्र, महिला, युवा व अन्य सभी वर्गों में आक्रोश है। बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा अपने कार्यकाल के पेश किये गए अंतिम वर्ष के बजट पर भी चर्चा की गई तथा यह बजट केवल आगामी चुनाव को ध्यान में रख कर पेश किया गया है। सरकार द्वारा लागू की जा रही नीतियों के कारण तेजी से बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई व कृषि संकट जैसे गंभीर मुद्दों के समाधान के लिए इस बजट में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सरकार आय के साधनों के सृजन में पूरी तरह से विफल रही है जिससे वितीय घाटा बढ़ा है और सरकार का कर्ज आज 65000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक गम्भीर संकट की ओर अग्रसर है। सरकार द्वारा कृषि व बागवानी के क्षेत्र में प्रदान की जा रही सहायता व सब्सिडी में कटौती के चलते खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि हो रही है। और इनकी कीमतों में एक वर्ष में 40 से 100 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। जिससे गरीब व छोटे किसान व बागवान का संकट और गहरा हो गया है और उसका रोजी रोटी का संकट और बड़ा है। बैठक में सरकार से बेरोजगारी, महंगाई व कृषि संकट को दूर करने के लिए तुरन्त ठोस कदम उठाने की मांग की गई। दैनिक मजदूरी को बढ़ा कर कम से कम 700 रुपये किया जाए तथा न्यूनतम वेतन 21000 रुपये सभी के लिए किया जाए। पुरानी पेंशन बहाल की जाए तथा आउटसोर्स व स्कीम वर्कर के लिए स्थाई निति बनाई जाए। कृषि व बागवानी में समाप्त की गई सब्सिडी को तुरन्त बहाल कर किसानों को राहत प्रदान कर खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं की कीमतों में कमी करे। प्रदेश में पैदा होने वाली सभी फसलों, सब्जियों, फलों व दुध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) घोषित करें। सेब के लिए कश्मीर की तर्ज पर मण्डी मध्यस्थता योजना(एमआईएस) लागू की जाए तथा सेब बागवानों का बकाया भुगतान तुरन्त नकद में किया जाए। पार्टी मजदूर, कर्मचारी व किसानों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर चलाए जा रहे आंदोलनों का समर्थन करती है।
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