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शिमला ! कोटखाई के जाशला, देवरी घाट, गांधी नगर रेओघाटी, बदरूनी, चोल, कुफरबाग आदि में हुआ बर्फबारी से भारी नुकसान बागवानों की मांग- सरकार जल्द से जल्द राहत प्रदान करे ! जिले में सेब उत्पादक इलाकों में वीरवार रात और शुक्रवार सुबह हुई बर्फबारी ने बागवानों की कमर तोड़ कर रख दी है। बर्फबारी से सेब के पौधों को भारी नुकसान पहुंचा है और इसे देख बागवानों में भारी निराशा है। बागवान अपने बागीचों में बर्फबारी से हुए नुकसान को देखकर मायूस हैं। अब उनकी नजर सरकार पर टिकी है, कि वह इस प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की कुछ तो भरपाई करे। शिमला जिले के कोटखाई क्षेत्र की देवरी खनेटी और पराली पंचायतों के साथ-साथ लगते अन्य इलाकों में भी बर्फबारी से भारी नुकसान हुआ है। क्षेत्र के बागवानों के मुताबिक उन्होंने इतना भारी नुकसान आज से पहले नहीं देखा। आज उनके बागीचों की हालत ऐसी हो गई है कि देखते ही मन में भारी निराशा पैदा हो जाती है। इस पंचायत के जाशला, चकनोटी, देवरी घाट व गांधी नगर, रेयोघाटी के साथ-साथ बदरूनी, चोल और कुफरबाग क्षेत्र में भी फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। जाशला के बागवान प्रदीप रौंगटा, नीरज रौंगटा, नरदीप रौंगटा, अंकुश बाजटा, प्रजुल राक्टा, जोगिंद्र रौंगटा, सुंदर लेटका, यशवंत लेटका, कमल ब्रागटा, संजू डिमोली, आशीष राक्टा आदि बागवानों ने कहा कि बर्फबारी से उनके बागीचों को भारी क्षति पहुंची है। बर्फबारी के कारण सेब के पौधे जड़ों तक से उखड़ गए हैं और कई पेड़ बीच से टूट गए हैं। वहीं, कई पेड़ों की टहनियां टूट कर अलग हो चुकी हैं। उनका कहना था कि सेब की फसल को ओलों से बचाने के लिए लगाई गई एंटी हेल नेट्स भी बर्फबारी से सारी नष्ट हो गई हैं। इन बागवानों का कहना है कि प्रकृति का यह कहर कभी न भुला पाने वाला क्षण है। उनकी सरकार से मांग है कि फसल और बागीचों को हुए भारी नुकसान का जल्द आंकलन किया जाए और उन्हें उचित राहत दी जाए। उन्होंने कहा कि सालों की मेहनत के बाद तैयार किए गए बागीचों पर पड़ी कुदरत की मार से वे अभी भी सहमे हुए हैं और अब उनकी नजर सरकार पर ही टिकी है। इन बागवानों ने सरकार से उन्हें जल्द से जल्द राहत प्रदान करने की गुहार लगाई है।
शिमला ! कोटखाई के जाशला, देवरी घाट, गांधी नगर रेओघाटी, बदरूनी, चोल, कुफरबाग आदि में हुआ बर्फबारी से भारी नुकसान बागवानों की मांग- सरकार जल्द से जल्द राहत प्रदान करे ! जिले में सेब उत्पादक इलाकों में वीरवार रात और शुक्रवार सुबह हुई बर्फबारी ने बागवानों की कमर तोड़ कर रख दी है। बर्फबारी से सेब के पौधों को भारी नुकसान पहुंचा है और इसे देख बागवानों में भारी निराशा है। बागवान अपने बागीचों में बर्फबारी से हुए नुकसान को देखकर मायूस हैं। अब उनकी नजर सरकार पर टिकी है, कि वह इस प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की कुछ तो भरपाई करे। शिमला जिले के कोटखाई क्षेत्र की देवरी खनेटी और पराली पंचायतों के साथ-साथ लगते अन्य इलाकों में भी बर्फबारी से भारी नुकसान हुआ है। क्षेत्र के बागवानों के मुताबिक उन्होंने इतना भारी नुकसान आज से पहले नहीं देखा। आज उनके बागीचों की हालत ऐसी हो गई है कि देखते ही मन में भारी निराशा पैदा हो जाती है। इस पंचायत के जाशला, चकनोटी, देवरी घाट व गांधी नगर, रेयोघाटी के साथ-साथ बदरूनी, चोल और कुफरबाग क्षेत्र में भी फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।
जाशला के बागवान प्रदीप रौंगटा, नीरज रौंगटा, नरदीप रौंगटा, अंकुश बाजटा, प्रजुल राक्टा, जोगिंद्र रौंगटा, सुंदर लेटका, यशवंत लेटका, कमल ब्रागटा, संजू डिमोली, आशीष राक्टा आदि बागवानों ने कहा कि बर्फबारी से उनके बागीचों को भारी क्षति पहुंची है। बर्फबारी के कारण सेब के पौधे जड़ों तक से उखड़ गए हैं और कई पेड़ बीच से टूट गए हैं। वहीं, कई पेड़ों की टहनियां टूट कर अलग हो चुकी हैं। उनका कहना था कि सेब की फसल को ओलों से बचाने के लिए लगाई गई एंटी हेल नेट्स भी बर्फबारी से सारी नष्ट हो गई हैं।
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इन बागवानों का कहना है कि प्रकृति का यह कहर कभी न भुला पाने वाला क्षण है। उनकी सरकार से मांग है कि फसल और बागीचों को हुए भारी नुकसान का जल्द आंकलन किया जाए और उन्हें उचित राहत दी जाए। उन्होंने कहा कि सालों की मेहनत के बाद तैयार किए गए बागीचों पर पड़ी कुदरत की मार से वे अभी भी सहमे हुए हैं और अब उनकी नजर सरकार पर ही टिकी है। इन बागवानों ने सरकार से उन्हें जल्द से जल्द राहत प्रदान करने की गुहार लगाई है।
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