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शिमला ! हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तत्वावधान में पर्यावरण प्रबन्धन और प्रदूषण नियंत्रण पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आज हिप्पा में शुरू हुई। इस प्रशिक्षण में जिला प्रशासन से अतिरिक्त उपायुक्त, उप मण्डलाधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी और राज्य भर के शहरी स्थानीय निकायों के कार्यकारी अधिकारी भाग ले रहे हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं सह-अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रबोध सक्सेना ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभागियों का पर्यावरण प्रबन्धन और प्रदूषण नियंत्रण से सम्बन्धित महत्वपूर्ण मुद्दों पर मार्गदर्शन किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन निदेशक पर्यावरण विभाग ललित जैन भी मौजूद रहे। प्रबोध सक्सेना ने कहा कि राज्य वर्ष 1995 में हिमाचल प्रदेश बायोडिग्रेडेबल अधिनियम को लागू करने में अग्रणी रही है। हिमाचल प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर राज्यव्यापी प्रतिबन्ध लगाने वाला पहला प्रदेश है। इसके अलावा, नदी प्रणाली में पारिस्थितिकी प्रवाह को बनाए रखने के लिए सभी जल विद्युत परियोजनाओं के लिए 15 प्रतिशत अनिवार्य प्रवाह निर्वहन लागू करने वाला भी हिमाचल पहला राज्य बना। उन्होने कहा इस प्रशिक्षण कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण कानूनों के बारे में अधिकारियों, निर्णय निर्माताओं और अन्य हितधारकों को जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय मुद्दे दिन-ब-दिन जटिल होते जा रहे है और ऐसे में पर्यावरण कानूनों को आने वाले समय में अधिक प्रमुखता मिलेगी और उन्हें अक्षरशः लागू करना पर्यावरण नियामकों और प्रबन्धकों के लिए अत्यन्त चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि राज्य बोर्ड प्रशिक्षण और प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रहा है, जो जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं का ज्ञानवर्धन करेंगे। वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों या उससे ऊपर के विज्ञान शिक्षकों को पर्यावरण कानूनों पर प्रशिक्षण देना भी प्रस्तावित है ताकि छात्रों को पर्यावरण कानूनों के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2022 से चुनिंदा सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात बिक्री और उपयोग पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबन्ध लगा दिया है। इसी क्रम में राज्य सरकार ने 22 जुलाई, 2022 को हिमाचल प्रदेश बायोडिग्रेडेबल एक्ट 1995 के तहत एक अधिसूचना भी जारी की है और एकल प्लास्टिक प्रतिबन्ध के उल्लंघन करने वालों का चालान करने के लिए विभिन्न विभागों के कई अधिकारियों को भी अधिकृत किया है। संयुक्त निदेशक ज्योति राणा ने कहा कि वायु और जल प्रदूषण के प्रभावी नियंत्रण और उचित अपशिष्ट प्रबन्धन की दिशा में योगदान करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। केन्द्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से सेवानिवृत्त अधिकारी आर.एन जिन्दल ने जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम 1974, वायु प्रदूषण की रेाकथाम और नियंत्रण अधिनियम, 1981 तथा पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कानूनी ढांचे पर प्रस्तुति दी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और उसके तहत बनाए गए नियमों पर भी विस्तार से जानकारी दी। डॉ. आर.के. नड्डा मुख्य पर्यावरण अभियंता, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मुख्यातिथि तथा सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। इसके उपरान्त प्रतिभागियों को हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (नार्थ डिस्पोजल शिमला) और सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग वेस्ट प्रोसेसिंग फैसिलिटी (भर्याल) के एक्सपोजर विजिट पर ले जाया गया।
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