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शिमला ! डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में सोमवार को वन महोत्सव मनाया गया। विश्वविद्यालय परिसर में कर्मचारियों और छात्रों द्वारा देवदार के 500 से अधिक पौधे लगाए गए। इसके अलावा, चारे के लिए विश्वविद्यालय डेयरी के पास कचनार और बीयुल के 150 पौधे लगाए जाएंगे। सभा को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि वृक्षारोपण प्रत्येक नागरिक का नैतिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरे के कारण वन महोत्सव जैसी गतिविधियों का महत्व और अधिक बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से और भी अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कई क्षेत्रों में बहुत सी विकास गतिविधियों को करने की आवश्यकता है। नियोजित वृक्षारोपण जलवायु परिवर्तन को कम करने में योगदान दे सकता है। उन्होंने छात्रों और कर्मचारियों से आग्रह किया कि वह अपने द्वारा लगाए गए हर पौधे को अपनाएं और देखभाल करें। प्रोफेसर चंदेल ने विश्वविद्यालय द्वारा किए गए वृक्षारोपण गतिविधियों से कितना कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन हुआ है, पर अध्ययन करने का आग्रह किया। इससे पहले विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेन्द्र गुप्ता ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कई यूरोपीय देशों में हाल ही में हुई भीषण गर्मी हर किसी के लिए एक चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन को कैसे प्रभावित कर सकता है। सिल्वीकल्चर एंड एग्रोफोरेस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विमल चौहान ने वन महोत्सव और इस पहल के तहत विवि द्वारा की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय स्टेशनों और कृषि विज्ञान केंद्रों ने भी अपने-अपने स्टेशनों पर वन महोत्सव का आयोजन किया।
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