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शिमला , 30 अगस्त ! हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के फागली इलाके में 14 अगस्त को हुए भूस्खलन ने कई लोगों के आशियाने छीन लिए. इसके अलावा आसपास के घरों को भी खतरा पैदा हो गया. घटनास्थल के आसपास से रह रहे लोगों को भी शेल्टर होम में रहना पड़ रहा है। स्थानीय प्रशासन ने अब तक इन लोगों के घरों के ऊपर खतरे की तरह मंडरा रहे हैं. असुरक्षित पेड़ों को भी नहीं काटा गया है. इसके अलावा यहां बिजली-पानी भी नहीं आई है. स्थानीय लोगों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द सुरक्षित पेड़ों को कटवाए और उनके घरों की बिजली पानी को बहाल करें। फागली में संस्कृत कॉलेज की पुरानी इमारत में बने शेल्टर होम में रह रहे प्रभावित लोगों का कहना है कि वह अब अपने घर आना चाहते हैं. प्रशासन को चाहिए कि जल्द से जल्द उनकी मांग को पूरा कर दिया जाए. अब शेल्टर होम में रहते रहते दो हफ्ते से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। बार-बार कहने पर भी प्रशासन बिजली-पानी बहाल नहीं कर रहा है. इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है बल्कि दफ्तर जाने वाले कर्मचारी अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं. इसके अलावा रोजाना दिहाड़ी लगाने वाले लोग भी परेशान चल रहे हैं।
शिमला , 30 अगस्त ! हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के फागली इलाके में 14 अगस्त को हुए भूस्खलन ने कई लोगों के आशियाने छीन लिए. इसके अलावा आसपास के घरों को भी खतरा पैदा हो गया. घटनास्थल के आसपास से रह रहे लोगों को भी शेल्टर होम में रहना पड़ रहा है।
स्थानीय प्रशासन ने अब तक इन लोगों के घरों के ऊपर खतरे की तरह मंडरा रहे हैं. असुरक्षित पेड़ों को भी नहीं काटा गया है. इसके अलावा यहां बिजली-पानी भी नहीं आई है. स्थानीय लोगों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द सुरक्षित पेड़ों को कटवाए और उनके घरों की बिजली पानी को बहाल करें।
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फागली में संस्कृत कॉलेज की पुरानी इमारत में बने शेल्टर होम में रह रहे प्रभावित लोगों का कहना है कि वह अब अपने घर आना चाहते हैं. प्रशासन को चाहिए कि जल्द से जल्द उनकी मांग को पूरा कर दिया जाए. अब शेल्टर होम में रहते रहते दो हफ्ते से ज्यादा का वक्त बीत चुका है।
बार-बार कहने पर भी प्रशासन बिजली-पानी बहाल नहीं कर रहा है. इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है बल्कि दफ्तर जाने वाले कर्मचारी अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं. इसके अलावा रोजाना दिहाड़ी लगाने वाले लोग भी परेशान चल रहे हैं।
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