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शिमला ! त्रिपुरा में सीपीआईएम के कार्यालयों पर हमले व आगजनी की घटनाओं व कार्यकर्ताओं पर हो रहे बर्बर हमले की निंदा करती है। प्रदर्शन में सीपीआईएम राज्य सचिव ओंकार शाद , राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय चौहान, राज्य कमेटी सदस्य विजेंद्र मेहरा, बलबीर , जिला कमेटी सदस्य, सत्यवान , जगमोहन ठाकुर अनिल ठाकुर, बालक राम, लोकल कमेटी सदस्य विजय कौशल, विनोद , किशोरी, विवेक राज, नेहा ठाकुर, चंद्रकांत वर्मा, सुरिंदर बिट्टू पोविंद्र, दर्शन, सैकडो कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। बीजेपी के द्वारा पूरे देश में इस तरह के दंगे फसाद कराए जाते है ताकि उनकी विफलताएं लोगे के सामने ना आए बीजेपी पूरे देश में और त्रिपुरा में भी लोगो की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में विफल रही है । बीजेपी के द्वारा जो निजीकरण की नीति को अपनाया गया है जिसके कारण आम जनता की मुश्किल और ज्यादा बढ़ गई है इन नीतियों को लागू करने से अमीर और अमीर हो रहा है गरीब और ज्यादा गरीब हो रहा है । बीजेपी सारी संपतियों को बेच रही है जब लोग बीजेपी की इन नीतियों का विरोध करते है तो उनके उपर हमले किए जाते है या जूठे केस दर्ज किए जाते है बीजेपी इस पूरे लोकतंत्र खत्म कर रही है बीजेपी त्रिपुरा में भी और अन्य राज्य में जहा सत्ता में है लोगो को प्रताड़ित कर रही है। आज महंगाई , पेट्रोल डीजल, भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है जब आम जनता इन मुद्दों पर आंदोलन करती है तो उनको बीजेपी के गुंडों द्वार निशाना बनाया जाता है लेकिन इस तरह से जनता के आंदोलन को नही कुचल सकते लोकतंत्र व सविधान को बचाने के लिए सभी लोगो को एकजुट होने की जरूरत है और इस तरह की तानाशाहा सरकार को उखाड़ फेकना है। सीपीआईएम लोकल कमेटी शिमला त्रिपुरा में सत्तारूढ़ दल भाजपा के गुंडों द्वारा बड़े पैमाने पर लोगों और मुख्य विपक्षी दल, वामपंथी और विशेष रूप से सीपीआई (एम) पर बर्बर हिंसा की निंदा करती है। राज्य में भाजपा के कुशासन के खिलाफ लड़ने वाली सीपीआईएम और ट्रेड यूनियनों अन्य जन संगठनों को भी उनके कार्यालयों में तोड़फोड़, दस्तावेजों, वाहनों और अन्य संपत्तियों को आग लगाने सहित खुले हमलों का निशाना बनाया गया है और पुलिस प्रशासन केवल मूक दर्शक बना रहा है। सीपीआई (एम) के राज्य मुख्यालय और अगरतला में सीटू सहित पूरे राज्य के लगभग सभी जिलों में सीपीआई (एम) और अन्य जन संगठनों के कार्यालयों पर भाजपा के गुंडों के नेतृत्व में भीड़ ने हमला किया। दस्तावेजों, फर्नीचर, वाहनों को दिन के उजाले में जला दिया गया, जो जाहिर तौर पर राज्य प्रशासन की मिलीभगत और समर्थन के साथ भाजपा के गुंडों द्वारा एक पूर्व नियोजित अभियान था। कई लोग, कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हुए है। यहां तक कि मीडिया को भी नहीं बख्शा गया। वाम दलों और जन संगठनों की पत्रिकाओं/मुखपत्रों के अलावा, कार्यालय और पत्रकार और सामान्य मीडिया के कार्यकर्ता, राज्य सरकार की कुछ कार्रवाइयों के खिलाफ आलोचनात्मक राय व्यक्त करने वाले सभी को इन शारीरिक हमलों में निशना बनाया गया। भाजपा के गुंडों और बदमाशों द्वारा किया गया यह सुनियोजित हमला और कुछ नहीं, बल्कि भाजपा सरकार के विनाशकारी शासन के खिलाफ जनता में बढ़ते असंतोष और अशांति के प्रति अति दक्षिणपंथी सत्तारूढ़ गुट की हताश प्रतिक्रिया है, जिसने मेहनतकश जनता के लगभग सभी तबकों की मुश्किलों को बढ़ाया है। लोग अपनी आजीविका खो रहे हैं, उन सभी कल्याणकारी उपायों से वंचित हैं जो उन्होंने पिछले वाम मोर्चा शासन के दौरान प्राप्त किए थे; इसके अलावा लोगों के असहमति व्यक्त करने और जायज मांगों को आवाज देने के सभी लोकतांत्रिक अधिकारों का फासीवादी तरीके से दमन किया जा रहा है। जनता के बीच यह अशांति पूरे राज्य में अधिक से अधिक लोगों, जो सभी हमलों का सामना कर रहे हैं, को शामिल करते हुए विरोध और आंदोलन के बढ़ते कार्यक्रमों के माध्यम से साफ दिखाई पड़ती है। राज्य की भाजपा सरकार की यह सोच पूरी तरह से गलत है कि वह विपक्ष की संस्थाओं और संगठनों पर इस तरह के फासीवादी हमलों के माध्यम से पूरे विपक्ष को कुचलकर और इन पैंतरों से अपने कुशासन के खिलाफ संघर्षों को दबा सकती है। सीपीआईएम लोकल कमेटी शिमला केंद्र सरकार विशेष रूप से गृह मंत्रालय से मांग करती है कि त्रिपुरा में इस हिंसा को रोकने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए तथा मजदूर वर्ग और बड़े पैमाने पर मेहनतकश वर्ग और आम जनता का आह्वान करती है कि वे भाजपा शासन के कुशासन और उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए भाजपा शासन के भयावह फासीवादी प्रारुप का एकजुट रूप से विरोध और खिलाफत करें।
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