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शिमला ! स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे-इडियां के अनुसार भारत में 27 करोड़ से अधिक लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं। विश्व में देश तम्बाकू उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता व उपभोक्ता हैं। उन्होंने कहा कि देश में तम्बाकू के सेवन से होने वाली मृत्यु की अनुमानित संख्या 12,80,000 प्रति वर्ष हैं, यानि प्रतिदिन लगभग 3500 लोगों की मृत्यु तम्बाकू के सेवन के कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि तम्बाकू के सेवन से हृदय रोग, कैंसर, फेफड़ों की गंभीर बीमारी तथा मधुमेह का खतरा बना रहता है। ऐसी बीमारियों के रोगियों की हालत कोविड-19 से संक्रमित होने पर गंभीर हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि धूम्रपान फेफड़ों की कार्य क्षमता को कम करता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और विभिन्न रोगों से लड़ने में शरीर सक्षम नहीं होता। धूम्रपान, ई-सिगरेट, धुंआ रहित तंबाकू, पान मसाला और इसी तरह के अन्य उत्पादों का उपयोग फंेफड़ों के संक्रमण के खतरे को बढ़ाता हैं। धूम्रपान करने वालों द्वारा हाथ व मुंह को बार-बार छूने से कोविड-19 की संभावना भी बढ़ जाती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार धूम्रपान करने वाले लोगों को कोविड-19 का खतरा अधिक होता है क्योकि यह बीमारी प्राथमिक रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती हैें। तम्बाकू का सेवन करने वाले लोग तम्बाकू को थूकते हैं जिससे कोविड-19, तपेदिक, स्वाइन फ्लू और एन्सेफलाइटिस आदि का खतरा बना रहता हैं। उन्होंने लोगों से धूम्रपान तथा तम्बाकू का सेवन न करने का आग्रह किया है ताकि वे तथा उनके परिवारजन स्वस्थ रहे।
शिमला ! स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे-इडियां के अनुसार भारत में 27 करोड़ से अधिक लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं। विश्व में देश तम्बाकू उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता व उपभोक्ता हैं।
उन्होंने कहा कि देश में तम्बाकू के सेवन से होने वाली मृत्यु की अनुमानित संख्या 12,80,000 प्रति वर्ष हैं, यानि प्रतिदिन लगभग 3500 लोगों की मृत्यु तम्बाकू के सेवन के कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि तम्बाकू के सेवन से हृदय रोग, कैंसर, फेफड़ों की गंभीर बीमारी तथा मधुमेह का खतरा बना रहता है। ऐसी बीमारियों के रोगियों की हालत कोविड-19 से संक्रमित होने पर गंभीर हो जाती हैं।
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उन्होंने कहा कि धूम्रपान फेफड़ों की कार्य क्षमता को कम करता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और विभिन्न रोगों से लड़ने में शरीर सक्षम नहीं होता। धूम्रपान, ई-सिगरेट, धुंआ रहित तंबाकू, पान मसाला और इसी तरह के अन्य उत्पादों का उपयोग फंेफड़ों के संक्रमण के खतरे को बढ़ाता हैं। धूम्रपान करने वालों द्वारा हाथ व मुंह को बार-बार छूने से कोविड-19 की संभावना भी बढ़ जाती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार धूम्रपान करने वाले लोगों को कोविड-19 का खतरा अधिक होता है क्योकि यह बीमारी प्राथमिक रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती हैें।
तम्बाकू का सेवन करने वाले लोग तम्बाकू को थूकते हैं जिससे कोविड-19, तपेदिक, स्वाइन फ्लू और एन्सेफलाइटिस आदि का खतरा बना रहता हैं। उन्होंने लोगों से धूम्रपान तथा तम्बाकू का सेवन न करने का आग्रह किया है ताकि वे तथा उनके परिवारजन स्वस्थ रहे।
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