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शिमला ! शिमला नागरिक सभा की टूटू इकाई ने टूटू,लोअर टूटू,विजयनगर व शिवनगर में पुलिस द्वारा 29 अगस्त 2022 को दर्जनों गाड़ियों के चलानों पर कड़ा रोष ज़ाहिर किया है व इसे जनता को वेबजह तंग करने वाला कदम बताया है। सभा ने पूछा है कि सरकार व नगर निगम की नकारा कार्यप्रणाली के कारण लग रहे जाम का खामियाजा जनता चालान के रूप में क्यों भुगते। नागरिक सभा ने इस पर तुरन्त रोक लगाने की मांग की है। सभा ने चेताया है कि अगर इस पर रोक न लगी तो इसके खिलाफ आंदोलन होगा तथा थाना बालूगंज व पुलिस चौकी जतोग का घेराव किया जाएगा। नागरिक सभा नेता विजेंद्र मेहरा,राहुल चौहान व हेमराज चौधरी ने कहा है कि 29 अगस्त को मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान टूटू में लगे जाम का खामियाजा जनता को वेबजह भुगतना पड़ा। दर्जनों कारों व दोपहिया वाहनों के रुपये के हज़ारों रुपये के चालान किये गए। यह तानाशाही है। स्मार्ट सिटी की डींगें हांकने वाली सरकार व नगर निगम शिमला शहर के दूसरे सबसे बड़े कस्बे टूटू में आज तक एक पार्किंग का निर्माण नहीं कर पाए तो फिर वाहन मालिक गाड़ियों की पार्किंग कहाँ करें। उन्होंने कहा कि बालूगंज व जतोग पुलिस प्रशासन टूटू,लोअर टूटू,विजयनगर व शिवनगर के इलाकों के वाहन मालिकों को बेवजह तंग कर रहा है। टूटू में न तो कोई पार्किंग की सुविधा है और न ही कोई येलो लाइन सुविधा है। वाहन मालिकों ने गाड़ी खरीदते वक्त बाकायदा सरकार को रोड़ टैक्स का भुगतान किया है। वे हर वर्ष इंश्योरेंस नवीनीकरण के ज़रिए भी सरकार को पैसे की अदायगी करते हैं परन्तु उन्हें पार्किंग सुविधा आज भी उपलब्ध नहीं हुई है। प्रदेश सरकार व नगर निगम शिमला की लचर कार्यप्रणाली के कारण वाहन मालिकों को बेवजह परेशान होना पड़ रहा है। उनके वाहनों का हर दिन चालान किये जा रहे हैं व उन्हें हज़ारों रुपये की चंपत लगाई जा रही है। इन चलानों के कारण स्थानीय व्यापारी,कारोबारी व जनता भारी परेशानी में है। टूटू कस्बा इर्द-गिर्द की दर्ज़नों पंचायतों के लोगों का केंद्र बिंदु भी है व उनका स्थानीय बाजार है। इन पंचायतों के गांवों के लोग भी जब टूटू बाजार से सामान खरीदने आते हैं तो उनकी गाड़ियों के भी चलान किये जाते हैं। टूटू के कारोबारियों व स्थानीय निवासियों के पास गाड़ियों की पार्किंग का कोई स्थान नहीं है। टूटू शिमला शहर के सबसे पुराने व बड़े कस्बों में से एक है परन्तु वर्ष 2015 - 16 में पार्किंग के लिए बजट आबंटित होने के सात साल बाद भी यहां पर आज तक कोई पार्किंग नहीं बनी। नगर निगम शिमला की संवेदनहीन कार्यप्रणाली का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस प्रशासन द्वारा हर रोज़ किये जाने वाले चालानों से जनता को हो रहे हज़ारों रुपये के आर्थिक नुकसान पर नगर निगम या तो खामोश रहता है या फिर आंखें मूंद लेता है। पुलिस प्रशासन के तानाशाहीपूर्वक रवैये का कड़ा विरोध करना नगर निगम की जिम्मेवारी थी परन्तु उसने अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लिया है। विजेंद्र मेहरा ने नगर निगम शिमला व प्रदेश सरकार से मांग की है कि टूटू में कम से दो पार्किंगों का तुरन्त निर्माण किया जाए। उन्होंने पुलिस प्रशासन को चेताया है कि वह तुरन्त गाड़ियों के चालान करना बंद करें क्योंकि पहाड़ी इलाका होने के कारण व पार्किंग के अभाव में लोग गाड़ियां सड़क के किनारे पार्क करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि टूटू में पार्किंग व्यवस्था व येलो लाइन के अभाव में वाहन मालिक गाड़ियां सड़क किनारे खड़ी करने को मजबूर हैं। अगर वाहनों के हर दिन ऐसे ही हज़ारों रुपये के चालान होते रहेंगे तो उनके पास अपनी गाड़ियों को बेचने अथवा सड़क के बीचों बीच ही खड़ी करने के सिवाए कोई चारा नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के शहरी विकास मंत्रालय व नगर निगम शिमला की नाकामियों का खामियाजा जनता व कारोबारी क्यों भुगतें। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि आज तक टूटू में नगर निगम शिमला व प्रदेश सरकार कारोबारियों के लिए लोडिंग व अनलोडिंग पॉइन्ट तक निर्धारित नहीं कर पाए हैं। अगर टूटू में पुलिस चालान तुरन्त बन्द न हुए तो जनता लामबन्द होकर आंदोलन का रास्ता अपनाएगी।
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