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kNशिमला ! भाषा एवम संस्कृति विभाग ज़िला शिमला द्वारा अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गेयटी थियेटर के कांफ्रेंस हॉल में ज़िला स्तरीय महिला कवि सम्मेलन का अयोजन करवाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा० संगीता सारस्वत ने की इस अवसर पर डेढ़ दर्जन से अधिक वरिष्ठ एवम नवोदित कवयित्रियों ने भाग लिया ! कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती को दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कवि सम्मेलन सम्मेलन की शुरुवात डा० ममता मोक्टा की मां पर लिखी कविता तु खुद की खोज में निकल, पंक्तियों से हुए इस के बाद जेनव ने यथार्थ का बखान करती हवा तेज हो गई हैं कहीं आग एलजी न जाए। गर आग लग गई तो अब रख हो जाएगा।। निशा चौहान। मैं तुम्हारे बिना अधूरी हर धड़कन को मेने जो सुना तुम्हारी। वो धड़कन जो तुम्हारी थी पर देती मुझे जिंदगी थी।। सुनीता ठाकुर मेरा परिचय इतना सा की जगजीवन की तकदीर हूं मैं। प्यार लुटाकर मांगू भीख प्यार की अकिंचन फकीर हूं मैं।। वन्दना राणा किए हैं उजाले जिसने खुद को जलाकर उस सूरज को चलो दिया आन दिखाते है।। नवनिता उठो लड़ो और आगे बढ़ो अपनी समस्याओं का खुद समाधान बनो।। डा कुसुमलता नारी होगी सशक्त तभी देश होगा सशक्त । उमा ठाकुर ने सशक्तिकरण की राह पर। हिमाचली महिलाएं विषय पर अपना लेख प्रस्तुत किया। शिवानी पांडे ने कोरे कागज सी जिंदगी मेरी सियाही सा गहरा रंग तेरा। कभी उतार पाऊंगी मां , जीवन रूपी कर्जा तेरा।। कल्पना ठाकुर तू जननी हैं तू सबला हैं तू करती है सृजन सभी का तू करती हैं पालन पोषण सभी का तू हैं विविध स्वरूपा।। रचना वर्मा ने मेरा वजूद मेरी मां से हैं मेरी मां मेरा सकूं हैं,और हिम्मत है।। साहिल वर्मा ने जिम्मेवारियों का बोझ परिवार पे पड़ा तो ओटो रिक्शा, ट्रेन को चलाने लगी बेटियां।। रक्षा शर्मा ने माथे पे बिंदी से सुहाती है नारी दुनियां में अनुपम हैं नारी स्वयं विपदा को सह रोती अपने बच्चों को सूखे मे सुलाती प्रियंका शर्मा जिंदगी के हर सफर मे साथ देती है वो हर किरदार निभाती है जनाब ....वो औरत है जो जीना सीखाती है।। दीप्ति सारस्वत ने सुविधा और सती प्रथा के यथार्थ पर मार्मिक काव्य पाठ किया। कार्यक्रम मे बेहतर काव्य पाठ व मंच संचालन के लिए कल्पना गंगटा ने खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम के अध्यक्षता भाषण में डा० संगीता सारस्वत ने सभी को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी और कोविड वैश्विक महामारी के चलते एक वर्ष के लंबे अंतराल के बाद औपकचारिक कार्यक्रम मे बेहतर काव्य पाठ करने के लिए सब की भूरि भूरि प्रशंसा की ओर निरंतर लेखन करने की बात कही। इसअवसर पर अनिल हारटा ज़िला भाषा अधिकारी शिमला , भाषा ,संस्कृति निदेशालय से अलका कैंथला, सहायक निदेशक प्रकाशन, कुसुम संघैक, सहायक निदेशक भाषा, सरोज नरवाल , भाषा अधिकारी, श्रेष्ठा ठाकुर , अधीक्षक ग्रेड2,डॉ० मस्त रामशर्मा पूर्व सचिव हिमाचल संस्कृति अकादमी भी उपस्थित रहे।
kNशिमला ! भाषा एवम संस्कृति विभाग ज़िला शिमला द्वारा अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गेयटी थियेटर के कांफ्रेंस हॉल में ज़िला स्तरीय महिला कवि सम्मेलन का अयोजन करवाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा० संगीता सारस्वत ने की इस अवसर पर डेढ़ दर्जन से अधिक वरिष्ठ एवम नवोदित कवयित्रियों ने भाग लिया ! कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती को दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कवि सम्मेलन सम्मेलन की शुरुवात डा० ममता मोक्टा की मां पर लिखी कविता तु खुद की खोज में निकल, पंक्तियों से हुए इस के बाद जेनव ने यथार्थ का बखान करती हवा तेज हो गई हैं कहीं आग एलजी न जाए। गर आग लग गई तो अब रख हो जाएगा।।
निशा चौहान। मैं तुम्हारे बिना अधूरी हर धड़कन को मेने जो सुना तुम्हारी। वो धड़कन जो तुम्हारी थी पर देती मुझे जिंदगी थी।।
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सुनीता ठाकुर मेरा परिचय इतना सा की जगजीवन की तकदीर हूं मैं। प्यार लुटाकर मांगू भीख प्यार की अकिंचन फकीर हूं मैं।।
वन्दना राणा किए हैं उजाले जिसने खुद को जलाकर उस सूरज को चलो दिया आन दिखाते है।।
नवनिता उठो लड़ो और आगे बढ़ो अपनी समस्याओं का खुद समाधान बनो।।
डा कुसुमलता नारी होगी सशक्त तभी देश होगा सशक्त ।
उमा ठाकुर ने सशक्तिकरण की राह पर। हिमाचली महिलाएं विषय पर अपना लेख प्रस्तुत किया। शिवानी पांडे ने कोरे कागज सी जिंदगी मेरी सियाही सा गहरा रंग तेरा। कभी उतार पाऊंगी मां , जीवन रूपी कर्जा तेरा।।
कल्पना ठाकुर तू जननी हैं तू सबला हैं तू करती है सृजन सभी का तू करती हैं पालन पोषण सभी का तू हैं विविध स्वरूपा।।
रचना वर्मा ने मेरा वजूद मेरी मां से हैं मेरी मां मेरा सकूं हैं,और हिम्मत है।। साहिल वर्मा ने जिम्मेवारियों का बोझ परिवार पे पड़ा तो ओटो रिक्शा, ट्रेन को चलाने लगी बेटियां।।
रक्षा शर्मा ने माथे पे बिंदी से सुहाती है नारी दुनियां में अनुपम हैं नारी स्वयं विपदा को सह रोती अपने बच्चों को सूखे मे सुलाती प्रियंका शर्मा जिंदगी के हर सफर मे साथ देती है वो हर किरदार निभाती है जनाब ....वो औरत है जो जीना सीखाती है।।
दीप्ति सारस्वत ने सुविधा और सती प्रथा के यथार्थ पर मार्मिक काव्य पाठ किया। कार्यक्रम मे बेहतर काव्य पाठ व मंच संचालन के लिए कल्पना गंगटा ने खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम के अध्यक्षता भाषण में डा० संगीता सारस्वत ने सभी को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी और कोविड वैश्विक महामारी के चलते एक वर्ष के लंबे अंतराल के बाद औपकचारिक कार्यक्रम मे बेहतर काव्य पाठ करने के लिए सब की भूरि भूरि प्रशंसा की ओर निरंतर लेखन करने की बात कही।
इसअवसर पर अनिल हारटा ज़िला भाषा अधिकारी शिमला , भाषा ,संस्कृति निदेशालय से अलका कैंथला, सहायक निदेशक प्रकाशन, कुसुम संघैक, सहायक निदेशक भाषा, सरोज नरवाल , भाषा अधिकारी, श्रेष्ठा ठाकुर , अधीक्षक ग्रेड2,डॉ० मस्त रामशर्मा पूर्व सचिव हिमाचल संस्कृति अकादमी भी उपस्थित रहे।
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