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शिमला ! दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन बड़ी तेजी से हो रहा है ।ग्लेशियर पिघल रहे हैं पहाड़ तप रहे है, तूफ़ान, बाढ़ और भूकंप भी बढ़ रहे हैं जिसका सीधा असर जीवन पर पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश में भी जलवायु परिवर्तन का असर देखने को मिल रहा है।जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कैसे कम किया जाए इसको लेकर शिमला में हिमकॉस्ट ने नीति निर्धारण पर विशेषज्ञों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रोधोगिकी एवम पर्यावरण परिषद के निदेशक ललित जैन ने बताया की जलवायु परिवर्तन पर प्रदेश के वैज्ञानिक व अधिकारी मंथन कर रहे हैं। ग्लेशियर को किस तरह से पिघलने से बचाया जाए व प्राकृतिक संसाधनों का दोहन वैज्ञानिक तरीके से किया जा सके इस पर बल दिया जा रहा है। जिस रफ़्तार से ग्लोबल वार्मिंग हो रही है साल 2050 तक 2.0 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ जायेंगे जिसके परिणामस्वरूप दुनिया को भयानक हीट-वेव का सामना करना पड़ सकता है हिमकोस्ट हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रोधोगिकी एवम पर्यावरण परिषद हिमाचल में कल से एकल उपयोग प्लास्टिक वाली वस्तुओं का निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंधित लग गया है जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
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