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शिमला ,22 फरवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के आठवें दिन जलरक्षक संघ ने चौड़ा मैदान में अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। संघ का कहना है कि सरकार ने उनके वेतन में बजट में महज 300 रुपए की बढ़ोतरी की है जो कि न काफी है। वह मांगों को लेकर पहले भी कई बार मुख्यमंत्री से मिले हैं लेकिन आश्वासन ही मिले हैं। जलरक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रूप लाल ने बताया कि उनका मानदेय मात्र 4500 रुपए हैं जिसे केवल 300 रुपए बढ़ाया गया है। आज महंगाई के दौर में ये बहुत कम है। इसके साथ ही जल रक्षकों ने अनुबंध के अंतर्गत सेवा काल का समय 12 साल से घटाकर कम करने की अपनी मांग पहले भी सरकार के समक्ष रखी लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया गया है। उनमें से कई कर्मचारी 12 साल कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, लेकिन उनको अभी तक अनुबंध पर नहीं लिया गया है। प्रदेश में छह हजार जल रक्षक हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार और जल शक्ति विभाग द्वारा जल्द से जल्द उनको अनुबंध पर लाकर उन्हें पूर्ण रूप से जल शक्ति विभाग के अधीन किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार से आश्वासन कई बार मिला है। अब की बार सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे आकर बात करें या लिखित में मुख्यमंत्री आश्वासन दे अन्यथा ये लगातार धरने पर बैठे रहेंगे।
शिमला ,22 फरवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के आठवें दिन जलरक्षक संघ ने चौड़ा मैदान में अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। संघ का कहना है कि सरकार ने उनके वेतन में बजट में महज 300 रुपए की बढ़ोतरी की है जो कि न काफी है। वह मांगों को लेकर पहले भी कई बार मुख्यमंत्री से मिले हैं लेकिन आश्वासन ही मिले हैं।
जलरक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रूप लाल ने बताया कि उनका मानदेय मात्र 4500 रुपए हैं जिसे केवल 300 रुपए बढ़ाया गया है। आज महंगाई के दौर में ये बहुत कम है। इसके साथ ही जल रक्षकों ने अनुबंध के अंतर्गत सेवा काल का समय 12 साल से घटाकर कम करने की अपनी मांग पहले भी सरकार के समक्ष रखी लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया गया है।
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उनमें से कई कर्मचारी 12 साल कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, लेकिन उनको अभी तक अनुबंध पर नहीं लिया गया है। प्रदेश में छह हजार जल रक्षक हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार और जल शक्ति विभाग द्वारा जल्द से जल्द उनको अनुबंध पर लाकर उन्हें पूर्ण रूप से जल शक्ति विभाग के अधीन किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार से आश्वासन कई बार मिला है। अब की बार सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे आकर बात करें या लिखित में मुख्यमंत्री आश्वासन दे अन्यथा ये लगातार धरने पर बैठे रहेंगे।
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