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शिमला , 09 अगस्त [ विशाल सूद ] ! भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन के तहत ट्रेड यूनियन ने आज शिमला के उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया और चार नए लेबर कोड को निरस्त करने सहित प्रदेश के निगमों बोर्डो के कर्मचारियों के लिए भी विभागों को तर्ज पर ओपीएस की मांग की। साथ ही न्यूनतम वेतन 26 हज़ार करने के अलावा आउटसोर्स को नीति बनाने की मांग की। इस दौरान सीटू के प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने बताया कि चार लेबर कोड से मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय हो जाएगी। यह कोड पूरी तरह से पूंजीपतियों के पक्ष में है जबकि मजदूर इसमें गुलाम बनकर रह जाएगा। इससे मजदूरों की छंटनी करना आसान हो जाएगा। प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति निर्माण का कोई पहल सरकार की तरफ से नहीं हो रही है। एनएचएम में कार्य कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कोविड के समय में सेवाएं देने वाले दो हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारियों को निकाला जा रहा है। आंगनवाड़ी वर्कर व अन्य वर्करों के नियमितिकरण के लिए कोई नीति नहीं बनाई जा रही है। मजदूर की न्यूनतम सैलरी जो उन्हें मिलनी चाहिए नहीं दी जा रही है। केंद्र सरकार की सभी नीतियां मजदूरों के खिलाफ रही है एक भी नीति सफल न होने के बाद केवल अडानी अंबानी के हितों में नीतियां बनाने के विरोध में ये धरना दिया जा रहा है।
शिमला , 09 अगस्त [ विशाल सूद ] ! भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन के तहत ट्रेड यूनियन ने आज शिमला के उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया और चार नए लेबर कोड को निरस्त करने सहित प्रदेश के निगमों बोर्डो के कर्मचारियों के लिए भी विभागों को तर्ज पर ओपीएस की मांग की। साथ ही न्यूनतम वेतन 26 हज़ार करने के अलावा आउटसोर्स को नीति बनाने की मांग की।
इस दौरान सीटू के प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने बताया कि चार लेबर कोड से मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय हो जाएगी। यह कोड पूरी तरह से पूंजीपतियों के पक्ष में है जबकि मजदूर इसमें गुलाम बनकर रह जाएगा। इससे मजदूरों की छंटनी करना आसान हो जाएगा। प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति निर्माण का कोई पहल सरकार की तरफ से नहीं हो रही है।
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एनएचएम में कार्य कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कोविड के समय में सेवाएं देने वाले दो हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारियों को निकाला जा रहा है। आंगनवाड़ी वर्कर व अन्य वर्करों के नियमितिकरण के लिए कोई नीति नहीं बनाई जा रही है।
मजदूर की न्यूनतम सैलरी जो उन्हें मिलनी चाहिए नहीं दी जा रही है। केंद्र सरकार की सभी नीतियां मजदूरों के खिलाफ रही है एक भी नीति सफल न होने के बाद केवल अडानी अंबानी के हितों में नीतियां बनाने के विरोध में ये धरना दिया जा रहा है।
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