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शिमला ! देश में किसान आन्दोलन का एक साल पूरा होने के मौके पर हिमाचल किसान सभा ने अन्य मज़दूर, महिला, छात्र संगठनों के साथ मिलकर प्रदेशभर में प्रदर्शन किए। प्रदर्शन में जहां तीन कृषि कानूनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू होने पर खुशी जाहिर की गई वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य, बिजली विधेयक और चार श्रम कोड वापसी की मांग भी मज़बूती से उठाई। शिमला उपायुक्त कार्यालय पर हुए प्रदर्शन में हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तँवर ने इस मौके पर कहा कि किसानों के आन्दोलन आन्दोलन में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की शहादत बेकार नहीं गई बल्कि उससे उपजे आक्रोश ने किसानों को संघर्ष करने के लिए नई ताकत प्रदान की। उन्होंने कहा कि आज संविधान दिवस के मौके पर किसानों ने साबित कर दिया कि कोई भी व्यक्ति या सत्ता देश में लोकतांत्रिक आन्दोलन को छल-बल से दबाने की कोशिश क्यों न करे लेकिन आखिर में उसे हार का सामना करना पड़ता है और लोकतंत्र में जनता की ताकत और एकजुटता के सामने झुकना पड़ता है। डॉ. तँवर ने कहा कि न्यूनतम मूल्य की लड़ाई इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि किसान को उसकी फसल का उचित दाम नहीं मिलता और उपभोक्ता तक पहुंचते-पहुंचते इसका दाम सौ गुणा बढ़ जाता है। उन्होंने टमाटर का उदाहरण देते हुए कहा कि जो टमाटर सीज़न के समय एक से तीन रुपये तक बिका वही टमाटर उपभोक्ताओं को आज 100 रुपये किलो में मिल रहा है। डॉ. तँवर ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की लड़ाई के वल किसानों की नहीं है बल्कि उपभोक्ताओं की भी है क्योंकि दोनों को ही इसकी मार पड़ रही है। संयुक्त किसान मंच के सह संयोजक संजय चैहान ने कहा कि सरकार बड़े पूंजीपतियों की बनकर रह गई है। सार्वजनिक संस्थाओं का निजीकरण किया जा रहा है। संजय चैहान ने कहा कि खाद, बीज, स्प्रे के दाम इतने ज्यादा बढ़ चुके हैं कि किसानों-बागवानों की उत्पादन लागत कई गुणा बढ़ गई है। उन्होंने कश्मीर की तर्ज पर सेब पर एमआईएस देने की मांग की जहां ए, बी और सी ग्रेड के सेबों को क्रमशः 60œरुपये, 48 रुपये और 24 रुपये के भाव में सरकार खरीदती है। सीटू के प्रतिनिधि की तरफ से श्रम कानूनों को खत्म करके लाए गए चार श्रम कोड वापिस लेने की मांग उठाई तो जनवादी महिला समिति की ओर से राज्य सचिव फालमा चैहान ने कहा कि महंगाई की मार से महिलाओं पर भी इसका गहरा असर हुआ है। छात्रों ने नई शिक्षा नीति को वापिस लेने की मांग की।
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