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शिमला ! संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हिमाचल किसान सभा के बैनर तले लखिमपुर खीरी में किसानों लवप्रीत सिंह, नछेत्तर सिंह, दलजीत सिंह, और गुरविन्द्र सिंह की हत्या के विरोध में और अन्य गंभीर रूप से घायल हुए किसानों के समर्थन में शिमला के मालरोड़ पर गिरफ्तारियां देकर काला दिवस मनाया। संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य घटक संगठनों सीटू, एसएफआई, जनवादी नौजवान सभा, जनवादी महिला समिति और दलित शोषण मुक्ति मंच ने भी उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार द्वारा किसानों के बढ़ते आन्दोलन से निपटने के लिए अपनाए गए फासीवादी रवैये पर गहरी चिंता ज़ाहिर की है। हिमाचल किसान सभा ने कहा कि जब तक केन्द्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देती और सभी कृषि और बागवानी उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी जामा नहीं पहना देती तब तक किसान सभा संयुक्त किसान मोर्चा के सभी आह्वानों को लागू करेगी। हिमाचल किसान सभा ने भारत के राष्ट्रपति से कहा है कि वह सभी राज्य सरकारों के संविधान के प्रवधानों के अनुसार संचालन को सुनिश्चित करे। किसान सभा ने कहा कि राष्ट्रपति को हरियाणा के मुख्यमंत्री के उस बयान का संज्ञान लेना चाहिए जिसमें उन्होंने अपराध को बढ़ावा दिया है और किसानों पर हमला करने वालों को पुरस्कार में ज़मानत दिलवाने का आश्वासन दिया है। मनोहर लाल खट्टर को क्षण भर भी मुख्यमंत्री के संवैधानिक पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। किसान सभा ने आगे कहा कि लखिमपुर खीरी में किसानों की हत्या करने वाले केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया जाए। किसान सभा ने केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र को किसान नेताओं की हत्या के लिए उकसाने और नफरत फैलाने के लिए तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है। यह भी मांग की गई है कि किसानों की हत्या के पूरे प्रकरण की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया जाए। हिमाचल किसान सभा ने उत्तर प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि किसान आन्दोलन को फासीवादी तरीके अपनाने से आन्दोलन दबने वाला नहीं है। किसान सभा ने कहा कि किसानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी बल्कि हर किसान को जगाएगी और हिमाचल किसान सभा भी शहीद किसानों के सपनों का पूरा करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी।
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