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शिमला ! नगर निगम शिमला में वार्डों के पुनर्सीमांकन के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि नगर निगम में ग्रामीण क्षेत्रों को मिलाने की भाजपा सरकार की कोशिशों को ग्रामीणों के विरोध ने निरस्त कर दिया है। सीपीआई(एम) कसुम्पटी ग्रामीण क्षेत्रों को मर्ज करने की कवायद के समय से ही इसका विरोध कर रही थी क्योंकि अभी तक पुराने मर्ज्ड एरिया भी मर्ज होने का दंश झेल रहे हैं। सीपीआई(एम) कसुम्पटी इकाई की ओर से जारी प्रैस विज्ञप्ति में सचिव सत्यवान पुण्डीर ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों का रुख इस मामले में साफ नहीं है। कांग्रेस शुरूआत में जहां ग्रामीण क्षेत्रों को मर्ज करने पर आपत्ति जता रही थी वहीं शनिवार को कांग्रेस प्रवक्ता नरेश चौहान ने ग्रामीण क्षेत्रों को मर्ज करने के पक्ष में बयान दिया। इस मामले में कसुम्पटी कांग्रेस जहां चुप्पी साधे रही वहीं कांग्रेस प्रवक्ता का बयान स्पष्ट संकेत दे रहा है कि कांग्रेस भी अंदरखाते ग्रामीण क्षेत्र को नगर निगम में मिलाने के पक्ष में है। पुण्डीर ने कांग्रेस से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। वहीं इस मुद्दे पर भाजपा की गुटबाज़ी पहले ही सामने आ चुकी थी। एक पक्ष जहां पंचायत क्षेत्रों को नगर निगम में मिलाने के पक्ष में था वहीं दूसरा पक्ष इसके विरोध में मुख्यमंत्री से मिल रहा था। सत्यवान पुण्डीर ने कहा कि आज भले ही कसुम्पटी के कुछ भाजपा नेता इस मामले में अपनी पीठ थपथपा रहे हों लेकिन सच्चाई यह है कि यह ग्रामीणों का दबाव और सोलन और पालमपुर की तर्ज पर नगर निगम में करारी हार का भय था कि सरकार को अपना निर्णय पलटना पड़ा। सीपीआई(एम) कसुम्पटी ने शिमला के इर्दगिर्द के क्षेत्र की जनता और जन प्रतिनिधियों को बधाई दी है जिनके दबाव में सरकार इन क्षेत्रों को नगर निगम में मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
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