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शिमला , 02 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! आईजीएमसी के 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकालने के खिलाफ सुरक्षा कर्मियों ने सीटू के बैनर तले डीसी ऑफिस शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर नौकरी से निकाले गए कर्मियों को वापिस नौकरी पर न लिया तो आंदोलन तेज होगा। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का निर्णय गैर कानूनी है। इसे तुरन्त वापिस लिया जाए। अगर ऐसा न किया गया तो कल से आईजीएमसी में जोरदार प्रदर्शन और हड़ताल होगी। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है। ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जोकि यूनियन से आईजीएमसी प्रबन्धन द्वारा किए गए समझौते व औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है। आईजीएमसी प्रबन्धन भी नए ठेकेदार के साथ मिलकर श्रम क़ानूनों की खुली अवहेलना कर रहा है। पिछले कई वर्षों से कार्यरत सुरक्षा कर्मियों की पुनर्नियुक्ति में श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25 एच की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नई आउटसोर्स कम्पनी द्वारा जो शपथ पत्र सुरक्षा कर्मियों से लिया जा रहा है, उसमें अनुचित श्रम व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने चेताया है कि अगर सभी सुरक्षा कर्मियों की पुनर्नियुक्ति न की गई तो कल से आईजीएमसी के बाहर धरना दिया जाएगा। इसका जिम्मेदार प्रशासन होगा। वहीं आईजीएमसी अस्पताल में सुरक्षा कर्मी के तौर पर सेवाएं देने वाले और अब निकाले जा चुके बबलू ने बताया कि आईजीएमसी प्रशासन कहता है कि यह सुरक्षाकर्मी उनके कर्मचारी नहीं है लेकिन वह भूल गया है कि इतने सालों से यह कर्मचारी वहां पर सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से निकल गया और जब नई कंपनी को टेंडर दिया गया तो जो पहले से वहां काम कर रहे थे उनको नियमों के मुताबिक भी तर्जिह नहीं दी गई. बबलू ने नई कंपनी को दिए गए टेंडर पर भी सवाल उठाए और जांच करने की मांग की. बबलू ने कहा कि 1 महीने पहले हो चुके टेंडर में कंपनी से कई ज़रूरी कागज़ात 1 महीने बाद मांगे गए. इसके अलावा बबलू ने प्रशासन पर कंपनी को फायदा पहुंचाने के भी आरोप लगाए हैं।
शिमला , 02 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! आईजीएमसी के 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकालने के खिलाफ सुरक्षा कर्मियों ने सीटू के बैनर तले डीसी ऑफिस शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर नौकरी से निकाले गए कर्मियों को वापिस नौकरी पर न लिया तो आंदोलन तेज होगा।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का निर्णय गैर कानूनी है। इसे तुरन्त वापिस लिया जाए। अगर ऐसा न किया गया तो कल से आईजीएमसी में जोरदार प्रदर्शन और हड़ताल होगी। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है।
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ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जोकि यूनियन से आईजीएमसी प्रबन्धन द्वारा किए गए समझौते व औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है। आईजीएमसी प्रबन्धन भी नए ठेकेदार के साथ मिलकर श्रम क़ानूनों की खुली अवहेलना कर रहा है।
पिछले कई वर्षों से कार्यरत सुरक्षा कर्मियों की पुनर्नियुक्ति में श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25 एच की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नई आउटसोर्स कम्पनी द्वारा जो शपथ पत्र सुरक्षा कर्मियों से लिया जा रहा है, उसमें अनुचित श्रम व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने चेताया है कि अगर सभी सुरक्षा कर्मियों की पुनर्नियुक्ति न की गई तो कल से आईजीएमसी के बाहर धरना दिया जाएगा। इसका जिम्मेदार प्रशासन होगा।
वहीं आईजीएमसी अस्पताल में सुरक्षा कर्मी के तौर पर सेवाएं देने वाले और अब निकाले जा चुके बबलू ने बताया कि आईजीएमसी प्रशासन कहता है कि यह सुरक्षाकर्मी उनके कर्मचारी नहीं है लेकिन वह भूल गया है कि इतने सालों से यह कर्मचारी वहां पर सेवाएं दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से निकल गया और जब नई कंपनी को टेंडर दिया गया तो जो पहले से वहां काम कर रहे थे उनको नियमों के मुताबिक भी तर्जिह नहीं दी गई. बबलू ने नई कंपनी को दिए गए टेंडर पर भी सवाल उठाए और जांच करने की मांग की. बबलू ने कहा कि 1 महीने पहले हो चुके टेंडर में कंपनी से कई ज़रूरी कागज़ात 1 महीने बाद मांगे गए. इसके अलावा बबलू ने प्रशासन पर कंपनी को फायदा पहुंचाने के भी आरोप लगाए हैं।
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