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शिमला ! राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कुलपतियों का आह्वान किया कि आजादी के अमृत महोत्सव को यादगार बनाने के लिए व्यापक रूपरेखा तैयार करें तथा 15 अगस्त को इस संकल्प के साथ आयोजन में शामिल हों कि वे किस रूप में समाज को अपना योगदान दे सकते हैं। राज्यपाल आज यहां हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, बागवानी विश्वविद्यालय नौणी, तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर, सरदार वल्लभभाई पटेल क्लस्टर विश्वविद्यालय मण्डी तथा अटल आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के कुलपतियों के साथ राजभवन मेें आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाने जा रहा है। इस महोत्सव में विश्वविद्यालयों की भूमिका क्या होगी और वे किस रूप में अपना योगदान दे सकते हैं, इस पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय लिखित में इस बारे में तैयार रूपरेखा उन्हें प्रेषित करेंगे ताकि इस महोत्सव को व्यापक स्वरूप दिया जा सके। श्री आर्लेकर ने कहा कि समाज में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि वह समाज के प्रति हमेशा संवादात्मक रूप में रहते हैं। वह विद्यार्थियों के साथ रोजाना संवाद करते हैं जबकि अन्य व्यवसाय में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। इसलिए समाज को उनसे बहुत सी अपेक्षाएं रहती हैं और समाज का दायित्व भी उनपर रहता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के हर प्रांत व ग्राम स्तर तक अलग पहचान है और हर स्थान का अपना अलग उत्पाद है, जिसके लिए वह स्थान जाना जाता है। अमृत महोत्सव के दौरान हमेें ‘एक गाव, एक उत्पाद’ जैसी संकल्पना के साथ आगे बढ़ना चाहिए। हमें उनकी पहचान को व धरोहर को बढ़ावा देना चाहिए, जिसकी जिम्मेदारी हम सब की है। उन्होंने कहा कि इस पहचान को चिन्हित करके बढ़ावा दिया जाना चाहिए। राज्यपाल ने हिमाचल प्रदेश मेें बढ़ते नशे की प्रवृति और प्राकृतिक आपदा पर चिंता व्यक्ति करते हुए दोनों विषयों पर विश्वविद्यालय स्तर पर योगदान की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य में नशे के खिलाफ ठोस प्रयास किए जाने चाहिए क्योंकि हम सब इस बुराई से दूर नहीं रह सकते। नशे की बुराई के प्रति हमें स्तर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि इस बुराई को रोक कर हमें भावी पीढ़ी को बचाना हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में किन्नौर में प्राकृतिक आपदा एक दुखद त्रास्दी है। ऐसी घटनाओं की पुर्नावृति न हो इसके लिए हम किस रूप में सहयोग कर सकते हैं, इसपर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं को लेकर विश्वविद्यालयों की एक संयुक्त समिति गठित करने पर बल दिया तथा कहा कि यह समिति अपनी कार्य योजना तैयार करेगा, जिसे प्रदेश सरकार को प्रेषित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव के दौरान विश्वविद्यालयों से संबद्ध प्रत्येक काॅलेज की भागीदारी सुनिश्चित बनाई जाएगी और प्रत्येक विद्यार्थी को विभिन्न गतिविधियों में शामिल किया जाएगा ताकि उसे लगे कि वह भी इस महोत्सव का हिस्सा है। उन्होंने प्रदेश के सभी काॅलेजों में एन.सी.सी को पूर्ण रूप से आरम्भ करने पर बल दिया। इस अवसर पर, कुलपतियों ने अमृत महोत्सव के सफल आयोजन के लिए विभिन्न गतिविधियों की रूपरेखा से राज्यपाल को अवगत करवाया। उन्होंने अपने अन्य सुझाव भी दिए। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. एच.के चैधरी, बागवानी विश्वविद्यालय नौणी के कुलपति प्रो. परविंदर कौशल, तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर के कुलपति अनुपम कुमार, सरदार वल्लभभाई पटेल क्लस्टर विश्वविद्यालय मण्डी के कुलपति डाॅ. सी.एल चंदन तथा अटल आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के कुलपतियों डाॅ. सुरेन्द्र कश्यप ने अपने विचार सांझा किए। राज्यपाल के सचिव श्री प्रियातु मंडल तथा विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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