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शिमला ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (एडवांस्ड स्टडी) के उपाध्यक्ष एवं कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर चमन लाल गुप्त ने आज एक प्रेस वार्ता में बताया कि 21 सितंबर 2021 को उनकी तथा संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर कपिल कपूर की केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के साथ एक भेंट हुई जिसमें उन्होंने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को संस्थान की कार्यप्रणाली तथा विगत पाँच वर्षों की संस्थान की अकादमिक उपलब्धियों तथा अन्य गतिविधियों की जानकारी दी। इस भेंट के दौरान केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि शिमला स्थित उच्च अध्ययन संस्थान में होने वाले शोधकार्यों की दिशा निश्चित होनी चाहिए जिसके प्रत्युत्तर में प्रोफेसर चमन लाल तथा प्रोफेसर कपूर ने मंत्रीजी को अवगत करवाया कि संस्थान के संविधान में स्पष्ट है कि इस संस्थान में अध्येताओं द्वारा मानविकी, सामाज विज्ञान, प्रकृत विज्ञान मौलिक चिन्तन, शोध और अनुसंधान कार्य किया जाता है जिसके लिए संस्थान उन्हें अवसर, वातावरण, संसाधन उपलब्ध करवाता है। इन शोध परियोजनाओं में भारतीय ज्ञान परंपरा की खोज, संरक्षण और संवर्धन- भारतीय विविधता में एकता, भारतीय चेतना की एकात्मकता, भारतीय शिक्षा दर्शन, विज्ञान और अध्यात्म का सांमजस्य, मानव मात्र की एकता, भारतीय साहित्य कोश निर्माण, पर्यावरण, प्रकृत विज्ञान में अनुसंधान आदि विषयों पर बल दिया जाता है। प्रोफेसर गुप्त ने प्रसन्नता जाहिर की, कि भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला 24 सितंबर से 26 सितंबर तक 9वें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी (1 अप्रैल 1621 से 11 नवंबर 1675) द्वारा हिंदू धर्म की रक्षा के लिए किए गए सर्वश्रेष्ठ बलिदान के 400वें वर्ष में स्मरणोत्सव मनाने के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। उन्होंने बताया कि 1626 में पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर की जीत के साथ शुरू और लगभग 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के साथ समाप्त हुए मुगल शासन के 181 वर्षों के दौरान गुरु नानक देव (1469-1539) से लेकर गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) तक, दस सिख गुरु, मुगल शासकों के अत्याचारों के खिलाफ हिंदुओं की ढाल, सुरक्षा कवच बने रहे। तीन गुरु, गुरु अर्जुन देव, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह तथा गुरु गोबिंद सिंह के दो छोटे बच्चों ने हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा करते हुए अपनी शहादत दी थी। गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान इतिहास में अद्वितीय है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से स्वतंत्रता समारोह के 75वें वर्ष का आरंभ सबसे पहले गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर किया है। उन्होंने बताया कि भारत का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान होने के नाते हिंदू सभ्यता के संरक्षक गुरु तेग बहादुरजी के अतुलनीय योगदान को रेखांकित करने के उद्देश्य से इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है। वर्तमान में अलगाववादी शक्तियों को उत्तर देने के लिए, हिन्दू धर्म की मूलभूत एकता एवं हिन्दू-सिख भाईचारे को पुष्ट करने के लिए श्री तेग बहादुर सिंह से बड़ा नायक/प्रतीक, भारतीय इतिहास में दूसरा नहीं है। विभिन्न सत्रों में चलने वाली इस त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में लगभग 30 जाने माने विद्वान भाग ले रहे हैं जिनमें से 26 विद्वान अपने शोधपत्र पढेंगे। प्रोफेसर गुप्त ने आशा प्रकट की इस संगोष्ठी में प्रस्तुत किए जाने वाले शोधपत्रों के संकलन स्वरूप संस्थान द्वारा एक महत्वपूर्ण पुस्तक का प्रकाशन किया जाएगा। इस अवसर पर प्रोफेसर चमन लाल गुप्त ने यह जानकारी भी दी कि स्वतंत्रता अमृत महोत्सव के मध्यनजर संस्थान हिमाचल प्रदेश के स्वाधीनता सेनानियों के योगदान पर भी एक संगोष्ठी करने की रूपरेखा बना रहा। नए अध्येताओं के चयन की प्रक्रिया आरंभ है और अक्तूबर माह में लगभग 20 सह-अध्येता भी संस्थान में शोधकार्य हेतु पधार रहे हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि दिल्ली कैम्प कार्यालय की शीघ्र की संस्थान द्वारा बहाली कर दी जाएगी। पर्यटकों के प्रवेश शुल्क बढ़ाने जाने के बारे में पत्राकारों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा इसकी समीक्षा की जाएगी, जिसमें स्थानीय लोगों तथा छात्रों के प्रवेश शुल्क को कम किए जाने पर विचार किया जाएगा।
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