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लाहौल ! हिमाचल प्रदेश के दुर्गम एव जनजातीय क्षेत्र स्पीति घाटी में सिप्पा और खुलू से गलीचा बनाने की हस्तशिल्प कला विलुप्त होने की कगार पर है! याक के बाल से बनाए गलीचे महंगे दामों पर बिकते हैं!छह फीट के गलीचे के जोड़े की कीमत तीस हजार रुपए से कम नहीं हैं! लोग अब याक के सिप्पा लम्बे बाल और खुलू छोटे मुलायम बाल से निर्मित वस्तुओं को तरजीह नहीं दे रहे है! लोग बाजार में मशीन से बनी वस्तुओं के प्रति आकर्षित हो रहे है! ठंडे इलाके में रहने वाला याक अब खेत की जुताई तक सीमित रह गया है! युवा पीढ़ी याक के लंबे सिप्पा से खुलू और रस्सी के गलीचा बनाने की हुनर नही सीख पाए! इसी वजह से मुलायम पशमीना खुलू से बनने वाली गलीचे की चमक धमक विलुप्त हो गई है !
लाहौल ! हिमाचल प्रदेश के दुर्गम एव जनजातीय क्षेत्र स्पीति घाटी में सिप्पा और खुलू से गलीचा बनाने की हस्तशिल्प कला विलुप्त होने की कगार पर है! याक के बाल से बनाए गलीचे महंगे दामों पर बिकते हैं!छह फीट के गलीचे के जोड़े की कीमत तीस हजार रुपए से कम नहीं हैं! लोग अब याक के सिप्पा लम्बे बाल और खुलू छोटे मुलायम बाल से निर्मित वस्तुओं को तरजीह नहीं दे रहे है! लोग बाजार में मशीन से बनी वस्तुओं के प्रति आकर्षित हो रहे है! ठंडे इलाके में रहने वाला याक अब खेत की जुताई तक सीमित रह गया है! युवा पीढ़ी याक के लंबे सिप्पा से खुलू और रस्सी के गलीचा बनाने की हुनर नही सीख पाए! इसी वजह से मुलायम पशमीना खुलू से बनने वाली गलीचे की चमक धमक विलुप्त हो गई है !
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