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लाहौल ! जनजातीय क्षेत्र लाहौल में इस बार हुई कम बर्फ़बारी ने दशकों के रिकॉड को तोड़ दिया है। कम बर्फबारी होने से सैकड़ों साल पुराने ग्लेशियरो को इस बार कवच नही मिला है, जिससे सूखे की संभावना बढ़ गई हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक 2021 की सर्दी में दशकों के बाद बर्फबारी के बगैर इस साल को सबसे सुखा साल दर्ज किया गया है। इस सर्दी में महज अभी तक 90 सेंटीमीटर बर्फ रिकॉर्ड की गई है। लाहौल स्पीति के पहाड़ों में 250 के करीब ग्लेशियर है, जो गर्मियों में पिघलकर सतलुज और चिनाव नदी को संजीवनी देती हैं। लेकिन इस बार कम बर्फ़बारी के कारण सीबी रेंज, पीर पंजाल जैसे कई सैकड़ों साल पुराने ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार तेज हो सकती है।
लाहौल ! जनजातीय क्षेत्र लाहौल में इस बार हुई कम बर्फ़बारी ने दशकों के रिकॉड को तोड़ दिया है। कम बर्फबारी होने से सैकड़ों साल पुराने ग्लेशियरो को इस बार कवच नही मिला है, जिससे सूखे की संभावना बढ़ गई हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक 2021 की सर्दी में दशकों के बाद बर्फबारी के बगैर इस साल को सबसे सुखा साल दर्ज किया गया है। इस सर्दी में महज अभी तक 90 सेंटीमीटर बर्फ रिकॉर्ड की गई है। लाहौल स्पीति के पहाड़ों में 250 के करीब ग्लेशियर है, जो गर्मियों में पिघलकर सतलुज और चिनाव नदी को संजीवनी देती हैं। लेकिन इस बार कम बर्फ़बारी के कारण सीबी रेंज, पीर पंजाल जैसे कई सैकड़ों साल पुराने ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार तेज हो सकती है।
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