- विज्ञापन (Article Top Ad) -
लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी में आज से सभी देवालयों के दरवाजे ( मंदिर के कपाट) खोल दिए हैं। लाहौल घाटी में मंदिर के कपाट जनवरी 13 को लोहड़ी के दिन बंद किए जाते हैं ,और कहा जाता है कि उसी दिन यानी लोहड़ी के दिन से तीन माह के लिए देवी देवता स्वर्ग प्रवास में चले जाते है, और बैसाखी के दिन तीन माह बाद स्वर्ग से धरती की ओर उतरते है। लाहौल घाटी के लोगो के आज के बाद खेतीबाड़ी का काम शुरू हो जाता है। बैसाखी के दिन लाहौल घाटी के मंदिरों में विशेष व विधिवत पूजा अर्चना होती हैं। बैसाखी के दिन मंदिरों में पूजा अर्चना के दौरान लाहौल घाटी के लोगों ने देवी देवताओ से बस यही प्रार्थना व विनती की कि पूरे संसार से कोरोना जैसी महामारी जो फैली हुई है इसे जल्दी खत्म करें।
लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी में आज से सभी देवालयों के दरवाजे ( मंदिर के कपाट) खोल दिए हैं। लाहौल घाटी में मंदिर के कपाट जनवरी 13 को लोहड़ी के दिन बंद किए जाते हैं ,और कहा जाता है कि उसी दिन यानी लोहड़ी के दिन से तीन माह के लिए देवी देवता स्वर्ग प्रवास में चले जाते है, और बैसाखी के दिन तीन माह बाद स्वर्ग से धरती की ओर उतरते है। लाहौल घाटी के लोगो के आज के बाद खेतीबाड़ी का काम शुरू हो जाता है। बैसाखी के दिन लाहौल घाटी के मंदिरों में विशेष व विधिवत पूजा अर्चना होती हैं। बैसाखी के दिन मंदिरों में पूजा अर्चना के दौरान लाहौल घाटी के लोगों ने देवी देवताओ से बस यही प्रार्थना व विनती की कि पूरे संसार से कोरोना जैसी महामारी जो फैली हुई है इसे जल्दी खत्म करें।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -