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लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल के पट्टन घाटी में हालडा उत्सव की धूम है। तांदी गांव से उदयपुर तक लोगों ने हालडा उत्सव को धूमधाम से मनाया। रात के 12:00 बजे नगाड़ा बजते ही हर गांव के लोग हालडा, हालडा की आवाज लगाकर घर से मशाल जलाकर बाहर निकले और निश्चित स्थान पर एकत्रित हुए। बताते चले कि यहां देवी देवताओं को शगुन चढ़ा कर लोग मशाल के इर्द गिर्द खूब नाचते है और एक दूसरे गले लगा कर उन्हें बधाई देते है। देवी देवताओं को समर्पित इस उत्सव में गावं ,गावं में लोगों ने अपने ईष्ट देव की पूजा अर्चना की, और सुबह से ही हालडा की तैयारियों में जुट गए। खास कर बच्चों में इस उत्सव को लेकर काफी उत्साह देखने को मिला, नए परिधान से सुस्सजित महिलाओं द्वारा इस मौके पर सत्तू देसी घी मिलाकर बलि राजा को शगुन के तौर भेंट किए जाते हैं, और हालडा का शुभारम्भ करते है। गावं के बुजुर्ग लोग राजा बलि की पूजा अर्चना करते हुए विशेष कर लाहौल घाटी के आराध्य देवता राजा घेपन पूजा करके, उनसे आने वाले समय में अच्छी फसल ओर सुख समृद्धि की कामना करते है।
लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल के पट्टन घाटी में हालडा उत्सव की धूम है। तांदी गांव से उदयपुर तक लोगों ने हालडा उत्सव को धूमधाम से मनाया। रात के 12:00 बजे नगाड़ा बजते ही हर गांव के लोग हालडा, हालडा की आवाज लगाकर घर से मशाल जलाकर बाहर निकले और निश्चित स्थान पर एकत्रित हुए। बताते चले कि यहां देवी देवताओं को शगुन चढ़ा कर लोग मशाल के इर्द गिर्द खूब नाचते है और एक दूसरे गले लगा कर उन्हें बधाई देते है। देवी देवताओं को समर्पित इस उत्सव में गावं ,गावं में लोगों ने अपने ईष्ट देव की पूजा अर्चना की, और सुबह से ही हालडा की तैयारियों में जुट गए। खास कर बच्चों में इस उत्सव को लेकर काफी उत्साह देखने को मिला, नए परिधान से सुस्सजित महिलाओं द्वारा इस मौके पर सत्तू देसी घी मिलाकर बलि राजा को शगुन के तौर भेंट किए जाते हैं, और हालडा का शुभारम्भ करते है। गावं के बुजुर्ग लोग राजा बलि की पूजा अर्चना करते हुए विशेष कर लाहौल घाटी के आराध्य देवता राजा घेपन पूजा करके, उनसे आने वाले समय में अच्छी फसल ओर सुख समृद्धि की कामना करते है।
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