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लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी के त्रिलोकनाथ में पौरी मेले के अतिंम दिन सुबह 11:00 बजे श्रद्धालुओं का बड़ा जत्था मणिमहेश झील के लिए रवाना हुआ। जब गद्दी लाहौल घाटी की और आते है तो शिव और पार्वती भी उनके साथ लाहौल घाटी की ओर आ जातें हैं। कहते हैं कि गौरी माँ को वापस पहु़ंचाने के लिए मणिमहेश श्रद्धालुओं का जत्था जाता है। इस छड़ी यात्रा में लगभग 200 के करीब श्रद्धालुओं का जत्था मणिमहेश के लिए रवाना हुआ। दो दर्जन के करीब महिलाऐं इस जत्था में शामिल हैं। जत्था जोबरंग- मणिमहेश रुट से 16,800 फीट ऊंचे कुगती जोत होते हुए पांच पडाव के बाद डल झील पहुंचेंगे। पहला पडाव थिरोट में दूसरी पडाव जोबरंग में तीसरी पडाव अलयास मे चौथा पडाव केलिंग मंदिर और अतिंम पांचवा पडाव श्रद्धालओं का मणिमहेश डल झील में होंगा। इसके बाद इस रूट से श्रद्धालुओं का मणिमहेश झील की और आवाजाही बंद हो जाता है। जोबरंग मणिमहेश का मुख्य द्वार है।
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