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लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी में तीन महीने के बाद बैसाखी के दिन मंदिर के कपाट खोल दिए गए है। यहाँ 13 जनवरी के बाद लोहडी के दिन मंदिर के कपाट बंद हो जाता है। सर्दियों में लाहौल घाटी के लोग अपने घरों के छतों से ही देवताओं की पूजा करते है। हालांकि बैसाखी वीरवार को थी लेकिन लाहौल घाटी में शुक्रवार को बैसाखी का त्योहार मनाया गया। बुजुर्गों का कहना है कि बैसाखी के दिन स्वर्ग से देवी देवता उतरते है और मंदिरों में विराजमान हो जाते हैं और बैसाखी के दिन ही लाहौल घाटी के लोग मंदिर में इकट्ठे हो कर गुर के माध्यम से फसलों और बीमारी की साल भर की भविष्यवाणी की जाती है। आज से मंदिर के कपाट खुलने से घाटी के लोग अब मंदिरों में जा सकते हैं और पूजा अर्चना कर सकते हैं।
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