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लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल के पटृन घाटी में सर्दियों का सबसे बड़ा उत्सव फागली उत्सव बुधवार को शुरू है। पटृन घाटी में इस उत्सव को धूमधाम से मनाते है। लाहौल घाटी के एक गाँव ऐसा भी है कि फागली उत्सव के दिन व दूसरे दिन जिसे पुना कहते हैं उस दिन बाहर के आदमी को इस गाँव में आने नहीं देते हैं। लाहौल घाटी के इस गाँव का नाम नालडा है। इस गाँव की पुना उत्सव को देखने के लिए लाहौल घाटी के लोग उत्साहित रहते हैं और वह टीवी व मोबाइल के माध्यम से देख सकते हैं। बाहर के मिडिया कर्मी भी इस पुना उत्सव को अपने कैमरे में कैद करने के लिए तरसते हैं। पटृन घाटी में महिलाएं आजकल फागली उत्सव में बिशेष प्रकार व कई तरह के व्यंजन बनाते हैं और नालडा गाँव की महिलाएं फागली उत्सव के दूसरे दिन पुना उत्सव के लिए एक निर्धारित स्थान पर धरती पूजन के लिए बुर्जुग और बच्चों को पांव में लगाने के लिए अलग किस्म के जिसे पुला कहा जाता है और सजधज कर जातें हैं। फागली उत्सव मूलिंग तांदी, लोट, जोबरंग, फूडा, जाहलमा, जुड़ा, नालडा, जसरथ, थिरोट त्रिलोकनाथ उदयपुर और तिंदी एक साथ धूमधाम से मनाया जाता है कहा जाता है कि अमावस्या के रात को (कुयंग) में उदयपुर स्थित माँ मृकुला मंदिर के दोनों द्वार वीर अदृश्य गुरु घंटाल गोम्पा तक जाते हैं और सुबह ब्राहममुर्त के बापस होते हैं। मंदिरों के कपाट बंद होने से घरों के छतों से ही देवी देवताओं की पूजा करते हैं। तीन महीने के बाद मकर संक्रांति के दिन ही मंदिरों के कपाट खोलेंगे। मान्यता है कि तीन महीने के लिए देवी देवता स्वर्ग प्रवास में चले जाते हैं फागली उत्सव में एक दिन के लिए धरती पर उतरते है। पटृन घाटी में बुधवार को फागली उत्सव और वीरवार को होगा।( पुना) धरती पूजन जिसे लोग देखने के लिए तरसते हैं।
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