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हिमाचल, , 11 अक्टूबर [ देवेंद्र धर ] ! भाखडा बांध विस्थापित,पोंग बांध विस्थापित,फोर लेन विस्थापित हम टावर लाइन मुआवजे की बात नहीं करेंगे। इनकी पंक्ति में जल्दी ही जुड़ने जा रही हैं “विस्तापितों”की नयी श्रेणी जिसे ‘हवाई अड्डा विस्थापित’ कहा जाना है। सरकार ने झूठे वादे करते हुए ना तो फैक्टर 2 के हिसाब से चार गुणा मुआवज़ा देने की ना ही नियमानुसार इन के पुनर्वास की बात करने को तैयार हुई और अधिग्रहित भूमि को भी अपनी मर्जी के भाव से ले रही है,अपने मनमाने निर्धारित मूल्यों पर भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम 2013 में पुनर्वास व उचित मुआवज़ा देने व पारदर्शिता के अधिकारों की व्याख्या होने के बावजूद सरकार अपने बनाये अधिनियमों की ही अनदेखी कर रही है। अगर कोई आवाज़ भी उठाता है तो सरकार उसका भाव मोल कर लेती है। हमारे पास ब्रिगेडियर खुशहाल का किया हुआ पाप सामने आ जाता है।ऎसा लगता है कि जनता के इस मामले से भारतीय जनता पार्टी के झूठ बोलने के सिवा और किसी राजनैतिक दल य़ा किसी मीडीया का कोई लेना देना नहीं है। हिंदी का यह मुहावरा कि जो तन लागे सो तन जाने' यानी किसी बड़े राजनीतिज्ञ या नौकरशाह की भूमि अधिग्रहित होती तो मामला कब का तय हो गया होता। सरकार ने भी तो सेवा निवृत कर्मचारियों को यह काम करने के लिए रख लिया कि वे फोरलेन का काम देखें। क्या दायित्व रहेगा इनका फिर पहाड़ों पर सड़क बनाने वाली अनुभवहीन कंपनियां आई निर्ममता से पहाड़ खोद कर भाग गयीं। कालका-शिमला,किर्तपुर-नेरचौक,मंड़ी-कुल्लू फोरलेन बेहाल है।जनता के घर तोड़ कर भी सर्वे बदले गये। बल्ह हवाई अड्डे का निर्माण हिमाचल प्रदेश में जनता के उपय़ोग के लिए पहले से ही तीन हवाई अड्डे बन रखे है क्रमशः गगल,भुंतर व शिमला इन का विस्तार नहीं हो पाया है। फिर भुंतर से बल्ह प्रस्तावित हवाई अड्डे की दूरी भी कितनी है। प्रदेश की सबसे उपजाउ भूमि पर यह प्रस्तावित हवाई अड्डे का निर्माण होगा। इतना ही नहीं इस निर्माण से 3000 बीघा ज़मीन का अधिग्रहण किया जाना अपेक्षित है जिसमें से मात्र 419 बीघा सरकारी भूमि होगी, 2527 निजी भूमि होगी। 589 आवासीय व व्यापारिक भवन टूटने की संभावना है। 2862 की आबादी इस एयर पोर्ट के बनने से प्रभावित होगी। अभी पर्यावरण को होने वाले नुक्सान, भूमिहीन होने वाले किसान, फसलों में होने वाली कमी, सर्वाधिक उपजाऊ कृषि भूमि क्षेत्र कम होने से क्षेत्र की प्रति व्यक्ति आय में भी कमती होगी। भौगोलिक दृष्टि से अगर देखा जाए सड़क मार्ग से बल्ह से भूतंर की दूरी कितनी है। इन दो हवाई अड्डों में एरियल डिस्टेंस(हवाई दूरी) मात्र 30 किलो मीटर का अनुमान लगाया जा रहा। फिर यह एयर पोर्ट किस प्रयोजन के लिए। फिर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन गंतव्य भूंतर हवाईअड्डे के विस्तार व विकास की अनदेखी क्यों। आखिर सरकार उचित मुआवजा देने से क्यों भाग रही है। बल्ह हवाई अड्डा प्रभावित संघ आंदोलन पर उतारु है। सरकार की जीद्द बरकरार है। कैसा विकास है यह, जनता की जमीन भी कब्जाना और उचित व नियमानुसार मुआवज़ा भी ना देना। लगता है सरकार ने उप चुनावों की हार से कोई सबक नहीं सीखा है।
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