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बिलासपुर ! खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजिन्द्र गर्ग ने घुमारवीं उपमण्डल के तहत सरस्वती संस्कृत डिग्री महाविद्यालय डंगार को सरकार द्वारा अपने अधीनस्थ लेने के मंत्रिमण्डल में लिए गए निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि अब इस महाविद्यालय में सरकारी महाविद्यालयों की तरह सभी सुविधाएं मिलेगी। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से क्षेत्र में प्रसन्नता की लहर है। इस संबंध में महाविद्यालय प्रबंधक समिति का एक प्रतिनिधिमंडल ने खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तथा शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर का आभार व्यक्त किया। प्रतिनिधिमण्डल में संस्था के संस्थापक डॉ दीनानाथ शर्मा, प्रधान डी सिंह ठाकर एवं विशन दास, चुन्नीलाल, लखन पाल व सेवानिवृत्त प्राचार्य विद्यासागर जोशी शामिल हुए। सरस्वती संस्कृत डिग्री महाविद्यालय की स्थापना 1982 को श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में डॉक्टर दीनानाथ शर्मा जी ने की थी, जिन्होन शास्त्री के पद से त्यागपत्र देकर विधिवत ढंग से को संचालित किया। इस महाविद्यालय से असंख्य विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करके देश व प्रदेश के विभिन्न भागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस महाविद्यालय से आज दिन तक विभिन्न कक्षाओं में लगभग 50 छात्र स्वर्ण पदक विजेता रहे हैं जो कि आज विभिन्न सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रकाश चंद्र गौतम ने प्रदेश सरकार के इस निर्णय को भारतीय संस्कृति और संस्कृत के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय कहा है।
बिलासपुर ! खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजिन्द्र गर्ग ने घुमारवीं उपमण्डल के तहत सरस्वती संस्कृत डिग्री महाविद्यालय डंगार को सरकार द्वारा अपने अधीनस्थ लेने के मंत्रिमण्डल में लिए गए निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि अब इस महाविद्यालय में सरकारी महाविद्यालयों की तरह सभी सुविधाएं मिलेगी। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से क्षेत्र में प्रसन्नता की लहर है।
इस संबंध में महाविद्यालय प्रबंधक समिति का एक प्रतिनिधिमंडल ने खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तथा शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर का आभार व्यक्त किया। प्रतिनिधिमण्डल में संस्था के संस्थापक डॉ दीनानाथ शर्मा, प्रधान डी सिंह ठाकर एवं विशन दास, चुन्नीलाल, लखन पाल व सेवानिवृत्त प्राचार्य विद्यासागर जोशी शामिल हुए।
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सरस्वती संस्कृत डिग्री महाविद्यालय की स्थापना 1982 को श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में डॉक्टर दीनानाथ शर्मा जी ने की थी, जिन्होन शास्त्री के पद से त्यागपत्र देकर विधिवत ढंग से को संचालित किया। इस महाविद्यालय से असंख्य विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करके देश व प्रदेश के विभिन्न भागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
इस महाविद्यालय से आज दिन तक विभिन्न कक्षाओं में लगभग 50 छात्र स्वर्ण पदक विजेता रहे हैं जो कि आज विभिन्न सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रकाश चंद्र गौतम ने प्रदेश सरकार के इस निर्णय को भारतीय संस्कृति और संस्कृत के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय कहा है।
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