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बिलासपुर 27 दिसम्बर ! मानवाधिकार व मिशन वातसल्य की जागरूकता के लिए हितधारकों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन जिला परिषद भवन बिलासपुर में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया गया जिसकी अध्यक्षता करते हुए सेवा निवृत न्यायधीश एवं सदस्य मानवाधिकार आयोग हिमाचल प्रदेश अवतार डोगरा ने की। उन्होंने कार्यशाला में भाग ले रही जिला के सभी ब्लॉकों के आंगबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकों को सम्बोधित करते हुए मिशन वातसल्य के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा बाल संरक्षण सेवाएं संसाधन के अन्तर्गत चलाई जा रही 03 योजनाओं के कार्यन्वयन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए 2009-10 से एक केन्द्र प्रायोजित योजना “मिशन वात्सल्य” यानी बाल संरक्षण सेवा योजना शुरू की है। मिशन वात्सल्य का लक्ष्य भारत के हर बच्चे के लिए एक स्वस्थ एवं खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना, उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता का पता लगाने के लिए अवसर प्रदान करना, हर क्षेत्र में विकास के लिए सहायता प्रदान करना, उनके लिए ऐसी संवेदनशील, समर्थनकारी और समकालिक इको-व्यवस्था स्थापित करना है जिसमें उनका पूर्ण विकास हो। इसके साथ ही राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को किशोर न्याय कानून 2015 के अनुरूप सुविधाएं मुहैया कराने तथा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करना था। “मिशन वात्सल्य” अंतिम उपाय के रूप में बच्चों के संस्थागतकरण के सिद्धांत के आधार पर कठिन परिस्थितियों में बच्चों की परिवार-आधारित गैर-संस्थागत देखभाल को बढ़ावा देता है। “मिशन वात्सल्य” के मुख्य कार्यों में संवैधानिक निकायों के कामकाज में सुधार लाना, सेवा प्रदान करने के ढांचे को मजबूत बनाना, संस्थागत देखभाल और सेवाओं के स्तर में वृद्धि करना, गैर-संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल को प्रोत्साहित करना, आपात स्थिति में पहुंच उपलब्ध कराना, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण शामिल हैं। इस अवसर पर रमेश सांख्यान पूर्व जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बाल संरक्षण योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 18 वर्ष से कम आयु के अनाथ व असहाय बालक-बालिकाओं को संरक्षण व पुर्नवासित करने के लिए निःशुल्क रहने, खाने व पहनने व पढ़ने की सुविधाएं 18 वर्ष तक प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि जिला में विशेष किशोर पुलिस ईकाई तथा प्रत्येक थाने में महिला एवं बाल सहायता ईकाई को स्थापित किया गया है जो विधि विवादित किशोरों के मामले में कार्यवाही करती है। इससे पूर्व हरीश मिश्रा जिला कार्यक्रम अधिकारी ने मुख्यअतिथि का स्वागत किया और बाल संरक्षण योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। कार्यशाला में बाल परियोजना अधिकारी झंण्डूता लाल सिंह, बाल विकास परियोजना अधिकारी बिलासपुर नरेन्द्र कुमार महिला थाना प्रभारी डिम्पल, नीरज वासु सदस्य बाल कल्याण समिति, संरक्षण अधिकारी शैली गुलेरिया, संरक्षण अधिकारी रीना चंदेल, पवन कुमार सहायक प्रोफैसर, अजय कुमार,सहित सभी ब्लॉकों से आई आंगबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
बिलासपुर 27 दिसम्बर ! मानवाधिकार व मिशन वातसल्य की जागरूकता के लिए हितधारकों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन जिला परिषद भवन बिलासपुर में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया गया जिसकी अध्यक्षता करते हुए सेवा निवृत न्यायधीश एवं सदस्य मानवाधिकार आयोग हिमाचल प्रदेश अवतार डोगरा ने की। उन्होंने कार्यशाला में भाग ले रही जिला के सभी ब्लॉकों के आंगबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकों को सम्बोधित करते हुए मिशन वातसल्य के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा बाल संरक्षण सेवाएं संसाधन के अन्तर्गत चलाई जा रही 03 योजनाओं के कार्यन्वयन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए 2009-10 से एक केन्द्र प्रायोजित योजना “मिशन वात्सल्य” यानी बाल संरक्षण सेवा योजना शुरू की है। मिशन वात्सल्य का लक्ष्य भारत के हर बच्चे के लिए एक स्वस्थ एवं खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना, उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता का पता लगाने के लिए अवसर प्रदान करना, हर क्षेत्र में विकास के लिए सहायता प्रदान करना, उनके लिए ऐसी संवेदनशील, समर्थनकारी और समकालिक इको-व्यवस्था स्थापित करना है जिसमें उनका पूर्ण विकास हो। इसके साथ ही राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को किशोर न्याय कानून 2015 के अनुरूप सुविधाएं मुहैया कराने तथा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करना था। “मिशन वात्सल्य” अंतिम उपाय के रूप में बच्चों के संस्थागतकरण के सिद्धांत के आधार पर कठिन परिस्थितियों में बच्चों की परिवार-आधारित गैर-संस्थागत देखभाल को बढ़ावा देता है।
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“मिशन वात्सल्य” के मुख्य कार्यों में संवैधानिक निकायों के कामकाज में सुधार लाना, सेवा प्रदान करने के ढांचे को मजबूत बनाना, संस्थागत देखभाल और सेवाओं के स्तर में वृद्धि करना, गैर-संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल को प्रोत्साहित करना, आपात स्थिति में पहुंच उपलब्ध कराना, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण शामिल हैं। इस अवसर पर रमेश सांख्यान पूर्व जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बाल संरक्षण योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 18 वर्ष से कम आयु के अनाथ व असहाय बालक-बालिकाओं को संरक्षण व पुर्नवासित करने के लिए निःशुल्क रहने, खाने व पहनने व पढ़ने की सुविधाएं 18 वर्ष तक प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि जिला में विशेष किशोर पुलिस ईकाई तथा प्रत्येक थाने में महिला एवं बाल सहायता ईकाई को स्थापित किया गया है जो विधि विवादित किशोरों के मामले में कार्यवाही करती है। इससे पूर्व हरीश मिश्रा जिला कार्यक्रम अधिकारी ने मुख्यअतिथि का स्वागत किया और बाल संरक्षण योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
कार्यशाला में बाल परियोजना अधिकारी झंण्डूता लाल सिंह, बाल विकास परियोजना अधिकारी बिलासपुर नरेन्द्र कुमार महिला थाना प्रभारी डिम्पल, नीरज वासु सदस्य बाल कल्याण समिति, संरक्षण अधिकारी शैली गुलेरिया, संरक्षण अधिकारी रीना चंदेल, पवन कुमार सहायक प्रोफैसर, अजय कुमार,सहित सभी ब्लॉकों से आई आंगबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकों ने भाग लिया।
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