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बिलासपुर ! अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय झंडुत्ता के सौजन्य से बैरीमियां में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एसडीएम झंडुत्ता विकास शर्मा ने कहा कि सशक्त महिला, सशक्त समाज देश के विकास में दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। देश में महिलाओं का सशक्तिकरण होना आज की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण महिलाओं की आध्यात्मिक, राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक शक्ति में वृद्धि करना है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। भारत में महिलाए शिक्षा, राजनीति, मीडिया, कला व संस्कृति, सेवा क्षेत्रों, विज्ञान व प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में सभी भारतीय महिलाओं को समानता का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा महिला दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1908 में महिला मजदूर आंदोलन से हुई थी। जो अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में हुआ था। इसके लगभग एक साल बाद, अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहले राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की घोषणा की थी। जिसके बाद महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का विचार एक महिला क्लारा जेटकिन ने दिया था। क्लारा उस वक्त कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं की अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में शिरकत कर रही थीं। कांफ्रेंस में उस समय लगभग 100 महिलाएं मौजूद थीं, जो 17 देशों से आई थीं। इन सभी महिलाओं ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को मंजूर किया। पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में मनाया गया था। लेकिन इसे औपचारिक मान्यता साल 1975 में उस समय मिली थी जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मनाना शुरू किया था। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं। ताकि उन्हें सुरक्षा, वित्तीय सहायता और सम्मानजनक जीवन जीने के अवसर प्राप्त हो सकें। महिला एवं बाल विकास अधिकारी नरेंद्र कुमार ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम (महिला नेतृत्व कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना) रखी गई है। यह थीम कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में लड़कियों और महिलाओं के योगदान को समर्पित करती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के कल्याणार्थ प्रदेश सरकार तथा केंद सरकार द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे बेटी है अनमोल योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान, विधवा पुनर्विवाह, प्रधानमंत्री मातृ बन्दना योजना चलाई जा रही है। महिला दिवस से पोषण पखवाड़े का भी आरम्भ किया है। इस अवसर पर डॉक्टर नैंसी ने उपस्थित महिलाओं को शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जागरूक किया। इस अवसर पर महिला ग्राम पंचायत प्रधान तथा उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पर्यवेक्षक तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस अवसर पंचायत समिति सदस्य कांता देवी, दिनेश गौतम, पर्यवेक्षक, आगनबाड़ी कार्यकर्ता, ग्राम पंचायत प्रधान तथा महिलाएं उपस्थित रही।
बिलासपुर ! अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय झंडुत्ता के सौजन्य से बैरीमियां में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एसडीएम झंडुत्ता विकास शर्मा ने कहा कि सशक्त महिला, सशक्त समाज देश के विकास में दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। देश में महिलाओं का सशक्तिकरण होना आज की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण महिलाओं की आध्यात्मिक, राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक शक्ति में वृद्धि करना है।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। भारत में महिलाए शिक्षा, राजनीति, मीडिया, कला व संस्कृति, सेवा क्षेत्रों, विज्ञान व प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में सभी भारतीय महिलाओं को समानता का अधिकार दिया है।
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उन्होंने कहा महिला दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1908 में महिला मजदूर आंदोलन से हुई थी। जो अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में हुआ था। इसके लगभग एक साल बाद, अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहले राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की घोषणा की थी। जिसके बाद महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का विचार एक महिला क्लारा जेटकिन ने दिया था।
क्लारा उस वक्त कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं की अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में शिरकत कर रही थीं। कांफ्रेंस में उस समय लगभग 100 महिलाएं मौजूद थीं, जो 17 देशों से आई थीं। इन सभी महिलाओं ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को मंजूर किया। पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में मनाया गया था। लेकिन इसे औपचारिक मान्यता साल 1975 में उस समय मिली थी जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मनाना शुरू किया था।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं। ताकि उन्हें सुरक्षा, वित्तीय सहायता और सम्मानजनक जीवन जीने के अवसर प्राप्त हो सकें। महिला एवं बाल विकास अधिकारी नरेंद्र कुमार ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम (महिला नेतृत्व कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना) रखी गई है।
यह थीम कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में लड़कियों और महिलाओं के योगदान को समर्पित करती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के कल्याणार्थ प्रदेश सरकार तथा केंद सरकार द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे बेटी है अनमोल योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान, विधवा पुनर्विवाह, प्रधानमंत्री मातृ बन्दना योजना चलाई जा रही है। महिला दिवस से पोषण पखवाड़े का भी आरम्भ किया है।
इस अवसर पर डॉक्टर नैंसी ने उपस्थित महिलाओं को शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जागरूक किया। इस अवसर पर महिला ग्राम पंचायत प्रधान तथा उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पर्यवेक्षक तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस अवसर पंचायत समिति सदस्य कांता देवी, दिनेश गौतम, पर्यवेक्षक, आगनबाड़ी कार्यकर्ता, ग्राम पंचायत प्रधान तथा महिलाएं उपस्थित रही।
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