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बिलासपुर ! भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ की श्रंृखला के अन्तर्गत ज़िला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता का आयोजन संस्कृति भवन बिलासपुर के कलाकेन्द्र हाल में आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय ने की। इस दौरान ज़िला भर से आए करीब तीन सौ लोक कलाकारों ने अपने-अपने क्षेत्र में प्रचलित लोकनृत्यों का पारंपरिक वेशभूषा, लोकवाद्यों और परपंरागत लोकगीतांे की स्वर लहरियों पर थिरकते हुए नृत्यकर ग्रामीण परिवेश को जीवंत कर दिया। उन्हांेने अपने सम्बोधन में कहा कि लोक संस्कृति किसी भी समाज की पहचान होती है जो उस समाज के रहन-सहन, खानपान, बोली-भाषा, पहनावे, लोकगीत संगीत के माध्यम से मुखरित होता है। उन्होंने कहा कि लोकनृत्य अपने आप में सामाजिक जीवन के आनंद और उल्लास का प्रतीक होते हैं। जिसमें बच्चे, बूढे, जवान, महिला व पुरूष एक साथ नृत्य कर अपनी खुशी का इजहार करते हैं। उन्होनें कहा कि पारंपरिक वेशभूषा से हमें उस क्षेत्र विशेष के अतीत को जानने और समझने का भी अवसर मिलता है। उन्होनें युवाओं का आहवान किया कि वे पाश्चात्य सभ्यता की नकल करने के बजाय अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में प्रयास करें। इस अवसर पर ज़िला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने कहा कि भाषा विभाग हर वर्ष ज़िला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता का आयोजन करवाता है। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले दल को ज़िला व राज्य स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं में ज़िला का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलेगा। इस मौके पर शारदा कला मंच दोकडू प्रथम, लक्ष्मी डांस ग्रुप बिलासपुर द्वितीय तथा अमरज्योति कला संस्कृति मंच घुमारवीं तृतीय स्थान पर रहा। ज़िला स्तरीय प्रतियोगिता में ज़िला के वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार व कला पारखी कुलदीप चन्देल, रामलाल पाठक, महाविद्यालय जुखाला में संगीत के प्राध्यापक डाॅ. कश्मीर सिहं ने निणार्यक की अहम भूमिका निभाई। मंच का संचालन साहित्यकार दिनेश सांवत ने किया।
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