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बिलासपुर ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दरोच ने जानकारी देते हुए बताया कि अब गर्मियों का मौसम और बरसात के मौसम में मलेरिया होने की सम्भावना अधिक रहती है, इसलिए मलेरिया रोग के प्रति जागरूक होना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि मलेरिया एक तेज बुखार वाली संक्रामक बीमारी है जो एक सूक्ष्म जीव मलेरिया पैरासाईट द्वारा होती है जिसे एनाफ्लीज मादा मच्छर एक मलेरिया रोगी से ग्रहण करके अन्य स्वस्थ व्यक्तियों तक पहुंचाती है। मलेरिया का संक्रमण किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। उन्होंने मलेरिया के लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि मलेरिया की तीन अवस्थाएं होती है। जिसमें शीत वाली अवस्था में तेज सर्दी, शरीर में कंपकंपी, सिर मे दर्द, खूब कपड़े ओढ़ना और दूसरी गर्मी वाली अवस्था में तेज बुखार, ओढ़े व पहने हुए कपड़े उतार फैंकना तथा तीसरी पसीने वाली अवस्था में अधिक पसीने के साथ बुखार उतरना व कमजोरी महसूस होना है। उन्होंने बताया कि मलेरिया की कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। किसी भी सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य उपकेन्द्र या स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा जांच पर मलेरिया की पुष्टि होने पर मूल उपचार मुफ्त दिया जाता है। उन्होंने बताया कि मलेरिया के लिए खून की जांच व उपचार निःशुल्क किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि प्रभावित लोगों को शीघ्र इन सेवाओं का लाभ उठा कर निरोग हो जाना चाहिए, इससे मलेरिया फैलने पर रोक लग सकती है। उन्होंने बताया कि मच्छर हमेशा खडे पानी में अण्डे देता है इस लिए खुले तौर पर कभी भी पानी खडा न होने दें, जहां कहीं पानी स्टोर किया जाए उसे भली प्रकार ढक कर रखें ताकि मच्छर प्रवेश न कर सके। घरों के आस-पास गढढों को भर दें और नालियों की सफाई बनाए रखें ताकि पानी का ठहराव सम्भव न हो। सप्ताह में एक बार सूखा दिवस मनाएं, कूलरों, गमलों, और डिब्बों का पानी निकाल कर इन्हें सूखा दें। सोते समय कीटनाशक से उपचारित मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के दरवाजों और खिडकियों में जालीदार पल्ले लगवाएं। शरीर के नंगे भागों जैसे हाथ, पैर, मुँह पर मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग करें, पूरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहने। उन्होने बताया कि छोटे गढों को मिट्टी से भर कर, बड़े गढों में खड़े पानी में मिट्टी तेल या प्रयोग किए गए मूवआयल की बूंदे डाल कर या मच्छर द्वारा अण्डे देने के स्थानों पर लार्वा भक्षक गंम्बूजिया मच्छली डाल कर,, मच्छर के लार्वा पैदा होने पर रोक लगाई जा सकती है। मलेरिया का विषेश उपचार उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि डाॅ0 की सलाह के बगैर कोई दवा न लें। जब तक मलेरिया रोगी का मूल उपचार न किया जाए उसका बुखार उतर जाने पर भी मलेरिया परजीवी शरीर में समाए रहते हैं। शरीर धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। दूसरी ओर ऐसा रोगी अन्य स्वस्थ लोगों तक मलेरिया संक्रमण फैला सकता है इसलिए बुखार आने पर रक्त की जांच मलेरिया के लिए अवश्य करवाएं।
बिलासपुर ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दरोच ने जानकारी देते हुए बताया कि अब गर्मियों का मौसम और बरसात के मौसम में मलेरिया होने की सम्भावना अधिक रहती है, इसलिए मलेरिया रोग के प्रति जागरूक होना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि मलेरिया एक तेज बुखार वाली संक्रामक बीमारी है जो एक सूक्ष्म जीव मलेरिया पैरासाईट द्वारा होती है जिसे एनाफ्लीज मादा मच्छर एक मलेरिया रोगी से ग्रहण करके अन्य स्वस्थ व्यक्तियों तक पहुंचाती है। मलेरिया का संक्रमण किसी भी व्यक्ति को हो सकता है।
उन्होंने मलेरिया के लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि मलेरिया की तीन अवस्थाएं होती है। जिसमें शीत वाली अवस्था में तेज सर्दी, शरीर में कंपकंपी, सिर मे दर्द, खूब कपड़े ओढ़ना और दूसरी गर्मी वाली अवस्था में तेज बुखार, ओढ़े व पहने हुए कपड़े उतार फैंकना तथा तीसरी पसीने वाली अवस्था में अधिक पसीने के साथ बुखार उतरना व कमजोरी महसूस होना है।
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उन्होंने बताया कि मलेरिया की कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। किसी भी सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य उपकेन्द्र या स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा जांच पर मलेरिया की पुष्टि होने पर मूल उपचार मुफ्त दिया जाता है। उन्होंने बताया कि मलेरिया के लिए खून की जांच व उपचार निःशुल्क किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि प्रभावित लोगों को शीघ्र इन सेवाओं का लाभ उठा कर निरोग हो जाना चाहिए, इससे मलेरिया फैलने पर रोक लग सकती है।
उन्होंने बताया कि मच्छर हमेशा खडे पानी में अण्डे देता है इस लिए खुले तौर पर कभी भी पानी खडा न होने दें, जहां कहीं पानी स्टोर किया जाए उसे भली प्रकार ढक कर रखें ताकि मच्छर प्रवेश न कर सके। घरों के आस-पास गढढों को भर दें और नालियों की सफाई बनाए रखें ताकि पानी का ठहराव सम्भव न हो।
सप्ताह में एक बार सूखा दिवस मनाएं, कूलरों, गमलों, और डिब्बों का पानी निकाल कर इन्हें सूखा दें। सोते समय कीटनाशक से उपचारित मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के दरवाजों और खिडकियों में जालीदार पल्ले लगवाएं। शरीर के नंगे भागों जैसे हाथ, पैर, मुँह पर मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग करें, पूरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहने।
उन्होने बताया कि छोटे गढों को मिट्टी से भर कर, बड़े गढों में खड़े पानी में मिट्टी तेल या प्रयोग किए गए मूवआयल की बूंदे डाल कर या मच्छर द्वारा अण्डे देने के स्थानों पर लार्वा भक्षक गंम्बूजिया मच्छली डाल कर,, मच्छर के लार्वा पैदा होने पर रोक लगाई जा सकती है। मलेरिया का विषेश उपचार उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि डाॅ0 की सलाह के बगैर कोई दवा न लें। जब तक मलेरिया रोगी का मूल उपचार न किया जाए उसका बुखार उतर जाने पर भी मलेरिया परजीवी शरीर में समाए रहते हैं। शरीर धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। दूसरी ओर ऐसा रोगी अन्य स्वस्थ लोगों तक मलेरिया संक्रमण फैला सकता है इसलिए बुखार आने पर रक्त की जांच मलेरिया के लिए अवश्य करवाएं।
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