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बिलासपुरः निर्देशक एवं प्रारक्षी मत्स्य हिमाचल प्रदेश, बिलासपुर सतपाल मैहता ने बताया कि हिमाचल प्रदेष के जलाष्यों एवं सामान्य नदी नालों व इनकी सहायक नदियों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हैं तथा वर्तमान में प्रदेष के 5 जलाष्यों क्रमषः गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम एवं रणजीत सागर जिनका क्षेत्रफल 43785 हैक्टेयर के करीब है में 5300 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं जबकि प्रदेष के सामान्य जलों जिनकी लंबाई 2400 किमी के लगभग है में 6000 से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य में लगे हैं। इन सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर मछली मिलती रहे तथा लोगों को प्रोटीनयुक्त प्राणी आहार मछली के रूप में मिलता रहे, इसका दायित्व हिमाचल प्रदेष मत्स्य पालन विभाग का है।उन्होंने बताया कि मात्स्यिकी विभाग हिमाचल प्रदेष प्रतिवर्ष सामान्य जलों में दो माह के लिए मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है क्योंकि इस अवधि में अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं। जिससे इन जलों मे स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है। प्रदेष के जलाषयों में मत्स्य धन संरक्षण हेतु विषेष कर्मचारी बल तैनात कर कैम्प लगाये जाते हैं जिससे ये कर्मचारी जल एवं सड़क, दोनों मार्गो से गष्त कर मत्स्य धन की सुरक्षा करते हैं। मत्स्य आखेट 16 जून 2022 से 15 अगस्त 2022 तक बन्द सीजन का कार्यान्वयन किया गया है तथा इस अवधि के दौरान अवैध मत्स्य आखेट के कुल 186 मामले पकडे गए जिनसे विभाग ने मुआवजे के रुप में 01.45 लाख रुपये प्राप्त किए। इस बार विभाग ने प्रदेष के जलाष्यों से दिनांक 16.08.2022 को 26.733 मिट्रिक टन का मत्स्य उत्पादन हुआ है। पिछले वर्ष 70 एम एम आकार से अधिक का मत्स्य बीज इन जलाष्यों में संग्रहित किया गया था। गोबिंदसागर जलाष्य से 8600 किलोगा्रम, कोलडैम से 67 किलोगा्रम, पौंग जलाष्य से 13430 किलोगा्रम तथा चमेरा व रणजीत सागर से 4636 किलोगा्रम मछली पकड़ी गई। इस समाचार से सम्बंधित फोटो मेल से भेजा जा रहा है।
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