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बिलासपुर ,15 सितम्बर ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर प्रवीण कुमार चौधरी ने बताया कि जननी सुरक्षा योजना भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की योजना है। इसका आरंभ 12 अप्रैल 2005 में किया गया था। इसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले महिलाओं को संस्थागत प्रसव करवाने पर सरकारी अस्पताल व चुनिंदा मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों में करवाने पर 700 रुपये आर्थिक सहायता दी जाती थी। सरकार का लक्ष्य इस योजना के माध्यम से बच्चों के जन्म के समय मां और नवजात शिशु मृत्यु दर को रोकना है। जननी सुरक्षा योजना के लाभार्थियों की अब सरकार ने विŸाीय सहायता बढा दी है जिसका नाम अब जननी सुरक्षा योजना प्लस कर दिया है (यह योजना 20 दिसम्बर 2019 से शुरु की गई है) गर्भवती जो गरीबी रेखा से नीचे रहने बाले परिवार से व अनुसूुचित जाती व अनुसूचित जनजाती से हो, तथा प्रवासी महिलाओं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों व चुनिंदा मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों में प्रशव करवाने पर अब सभी को संस्थागत प्रशव पर 1100 रुपये दिए जाते हैं और केवल बी0 पी0 एल0 परिवार से सम्बंध रखने बाली गर्भवती महिला को घर में प्रशव करवाने का 500 रुपये दिए जातेे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार का लक्ष्य इस योजना के माध्यम से बच्चों के जन्म के समय मां और नवजात शिशु मृत्यु दर को रोकना है। उन्होंने बताया कि योजना का उदेश्य गरीब गर्भवती मीिलाओें को पंजीकृत स्वास्थ्य संस्थाओं में प्रसव के लिए पोत्साहित करना है। जब वे जन्म देने के लिए किसी अस्पताल में पंजीकरण करवाते हैं तो गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए भुगतान करने केे लिए और एक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए नगद सहायता दी जाती है। बताया गया कि जननी सुरक्षा योजना में आशा वर्कर का महत्वपूर्ण किरदार है। आशा कार्यकर्ता ही गर्भवती माहिलाओं की पहचान से लेकर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की सभी अनुओैेपचारिकएं पूरी करती हैं। जेएसवाई के तहत लाभों का उपयोग करने के लिए गरीब गर्भवती महिलाओं की मदद हेतु आशा मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की भूमिका अहम होती है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य में प्रसव करवाने से माता के साथ-साथ शिशु की भी सुरक्षा सुनिश्चित होती है। जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत जहां गर्भवती महिला को नगद सहायता दी जाती है वहीं जननी सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं तथा रुग्ण नवजात
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