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बिलासपुर ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डॉ0 प्रवीण कुमार चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम एक जून 2011 को गर्भवती महिलाओं तथा रूग्ण नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए शुरू किया था। उन्होने कहा कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, (जेएसएसवाई) नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण मृत्यु दर की समस्या का निवारण करने में सहायक सिद्ध हुई है । इस योजना के अंतर्गत मुफ्त सेवा प्रदान करने पर बल दिया गया है। उन्होने बताया कि योजना के तहत गर्भवती महिलाओं तथा एक वर्ष तक आयु के रूग्ण नवजात शिशुओं को खर्चों से मुक्त रखा गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य मातृ मुत्युदर तथा शिशु मृत्यु दर में भी कमी लाना है। इस योजना के तहत सभी गर्भवती महिलाओं को राजकीय चिकित्सा संस्थानों में प्रसव कराने पर प्रसव संबंधी पूर्ण व्यय का वहन, प्रसवपूर्व, प्रसव के दौरान व प्रसव पश्चात दवाईयां व अन्य कंज्युमेबल्स निःशुल्क उपलब्ध करवाए जाते है तथा जांच भी निःशुल्क होती है। संस्थागत प्रसव होने पर तीन दिन तथा सिजेरियन ऑपरेशन होने पर सात दिन निःशुल्क भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। उन्होने बताया कि इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को मुफ्त दवाएं एवं खाद्य, मुफ्त इलाज, जरूरत पड़ने पर मुफ्त खून उपलब्ध करवाया जाता है। इसमें घर से केंद्र जाने एवं वापसी के लिए मुफ्त यातायात सुविधा प्रदान की जाती है। इसी प्रकार की सुविधा सभी बीमार नवजात शिशुओं के लिए दी जाती है। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को योजना का लाभ प्रदान किया जा रहा है। इस कार्यक्रम से मातृ मृत्युदर (एमएमआर) एवं शिशु मृत्यु दर काफी हद तक कम हुई है, इसमें और सुधार किए जाने की आवश्यकता है । जिस के लिए हर गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव करवाना चाहिए। उन्होने बताया कि निःशुल्क संस्थागत प्रसव जननी सुरक्षा कार्यक्रम की शुरूआत यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि प्रत्येक गर्भवती महिला को 42 दिन तक तथा एक वर्ष आयु तक रूग्ण नवजात शिशुओं को बिना किसी लागत तथा खर्चे के स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाए तथा आवश्यकता पड़ने पर निःशुल्क सीजेरियन ऑपरेशन-जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त प्रजनन सुविधाएं (सीजेरियन ऑपरेशन समेत) उपलब्ध करायी जाती हैं। उन्होने बताया कि दवाईयां एवं आवश्यक सामग्री-गर्भवती महिलाओं को मुफ्त में दी जाती हैं इनमें आयरन फॉलिक अम्ल जैसे सप्लीलमेंट भी शामिल हैं तथा निःशुल्क जाँच सुविधाएँ-इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को खून, पेशाब की जांच, अल्ट्रा-साउड़ आदि अनिवार्य और वांछित जांच भी निशुल्क करवाई जाती है। उन्होने बताया कि निःशुल्क भोजन-सेवा केंद्रों में सामान्य डिलीवरी होने पर तीन दिन तथा सीजेरियन डिलीवरी के मामले में सात दिनों तक मुफ्त पोषाहार दिया जाता है। जन्म से एक वर्ग आयु तक रूग्ण नवजात शिशु हेतु सभी दवाएं और अपेक्षित खाद्य मुफ्त में मुहैया कराया जाता है । जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत ओपीडी फीस एवं प्रवेश प्रभारों के अलावा अन्य प्रकार के खर्चे करने से मुक्त रखा गया है। उन्होने बताया कि घर से केंद्र जाने और आने के लिए भी मुफ्त में वाहन सुविधा दी जाती है। उन्होने बताया कि निःशुल्क रेफरल सुविधाएँ, आवश्यक ट्रांसपोर्ट सेवाएँ जिस में गर्भवती महिलाओं को घर से अस्पताल तक प्रसव करवाने के लिए 108 नम्बर तथा प्रसव कराने के बाद अस्पताल से घर तक 102 नम्बर गाडी की व्यवस्था निःशुल्क की जाती है। उन्होंने जनता से अपील की है कि वे इस योजना के बारे में स्थनीय स्वास्थ्य कर्मी से सम्पर्क कर योजना का लाभ उठाए।
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