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श्रीगणेश मित्र मंडली बद्दी द्वारा यहां अमरावती अपार्टमेंट में छत्रपति शिवाजी महाराज का 388वां जन्मोत्सव धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इसमें अमरावती वेल्फेयर सासायटी, हरिओम योग सोसायटी, आर्य समाज बददी ने भी सहयोग किया। कार्यक्रम में बालयोगी महाराज तथा आर्य अशोक डागर मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित हुए। बालयोगी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी भारत के बहादुर शासकों में से एक थे। छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। मराठा साम्राज्य की नींव रखने का श्रेय छत्रपति शिवाजी को जाता है। शिवाजी की जयंती को शिव जयंती और शिवाजी जयंती भी कहते हैं। शिवाजी को उनकी बहादुरी और रणनीतियों के लिए जाना जाता है, जिससे उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई युद्धों को जीता। शिवाजी स्वराज और मराठा विरासत के लिए जाना जाता है। बालयोगी ने बताया कि कई लोग मानते हैं कि शिवाजी का जन्म भगवान शिव के नाम पर रखा गया, लेकिन ऐसा नहीं था, उनका नाम एक देवी शिवई के नाम पर रखा गया था। दरअसल शिवाजी की मां ने देवी शिवई की पुत्र प्राप्ति के लिए पूजा की और उन्हीं पर शिवाजी का नाम रखा गया। शिवाजी हर धर्म के लोगों को मानते थे। उनकी सेना में कई मुस्लिम सिपाही भी थे। उनका मुख्य लक्ष्य मुगल सेना को हराकर मराठा साम्राज्य स्थापित करना था। आर्य अशोक डागर ने कहा कि शिवाजी महिलाओं को भी सम्मान करते थे। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ होने वाली कई हिंसाओ, शोषण और अपमान का विरोध किया। महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करने पर उनके राज्य में सजा मिलती थी। शिवाजी हर धर्म के लोगों को मानते थे। उनकी सेना में कई मुस्लिम सिपाही भी थे। उनका मुख्य लक्ष्य मुगल सेना को हराकर मराठा साम्राज्य स्थापित करना था। शिवाजी महिलाओं को भी सम्मान करते थे। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ होने वाली कई हिंसाओ, शोषण और अपमान का विरोध किया। महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करने पर उनके राज्य में सजा मिलती थी। इस मौके पर आर्य समाज के प्रमुख कुलवीर आर्य, महेश मारी, डॉ. श्रीकांत शर्मा, अनिल शर्मा, नितिन पाटिल, जैयेश पाटिल, कमलेश बंसल, अतुल महाजन, शिव कुमार सिंह, धर्मवीर, सूरजभान, पंकज व कपिल शर्मा समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
श्रीगणेश मित्र मंडली बद्दी द्वारा यहां अमरावती अपार्टमेंट में छत्रपति शिवाजी महाराज का 388वां जन्मोत्सव धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इसमें अमरावती वेल्फेयर सासायटी, हरिओम योग सोसायटी, आर्य समाज बददी ने भी सहयोग किया। कार्यक्रम में बालयोगी महाराज तथा आर्य अशोक डागर मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित हुए। बालयोगी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी भारत के बहादुर शासकों में से एक थे। छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। मराठा साम्राज्य की नींव रखने का श्रेय छत्रपति शिवाजी को जाता है। शिवाजी की जयंती को शिव जयंती और शिवाजी जयंती भी कहते हैं। शिवाजी को उनकी बहादुरी और रणनीतियों के लिए जाना जाता है, जिससे उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई युद्धों को जीता। शिवाजी स्वराज और मराठा विरासत के लिए जाना जाता है। बालयोगी ने बताया कि कई लोग मानते हैं कि शिवाजी का जन्म भगवान शिव के नाम पर रखा गया, लेकिन ऐसा नहीं था, उनका नाम एक देवी शिवई के नाम पर रखा गया था। दरअसल शिवाजी की मां ने देवी शिवई की पुत्र प्राप्ति के लिए पूजा की और उन्हीं पर शिवाजी का नाम रखा गया। शिवाजी हर धर्म के लोगों को मानते थे। उनकी सेना में कई मुस्लिम सिपाही भी थे। उनका मुख्य लक्ष्य मुगल सेना को हराकर मराठा साम्राज्य स्थापित करना था।
आर्य अशोक डागर ने कहा कि शिवाजी महिलाओं को भी सम्मान करते थे। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ होने वाली कई हिंसाओ, शोषण और अपमान का विरोध किया। महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करने पर उनके राज्य में सजा मिलती थी। शिवाजी हर धर्म के लोगों को मानते थे। उनकी सेना में कई मुस्लिम सिपाही भी थे। उनका मुख्य लक्ष्य मुगल सेना को हराकर मराठा साम्राज्य स्थापित करना था। शिवाजी महिलाओं को भी सम्मान करते थे। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ होने वाली कई हिंसाओ, शोषण और अपमान का विरोध किया। महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करने पर उनके राज्य में सजा मिलती थी। इस मौके पर आर्य समाज के प्रमुख कुलवीर आर्य, महेश मारी, डॉ. श्रीकांत शर्मा, अनिल शर्मा, नितिन पाटिल, जैयेश पाटिल, कमलेश बंसल, अतुल महाजन, शिव कुमार सिंह, धर्मवीर, सूरजभान, पंकज व कपिल शर्मा समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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