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बद्दी ! बद्दी के रिद्धि पैकेजिंग कंपनी के संचालक व गत्ता ऐसोसिएशन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मुकेश जैन ने कहा कि प्रदेश व केंद्र सरकार ने गलत नीतियों के चलते गत्ता संचालकों को कोरोबार खतरे में है। एक ओर केंद्र सरकार के कहना है कि चाईना के माल पूरी तरह से बहिष्कार किया जाए वहीं दूसरी ओर से निर्यात को पूरी तरह से खुला छोड़ रखा है। जिससे चाईना यहां के पेपर लगागार खरीद रहा है। जिससे देश में पेपर की कमी हो गई है। पेपर की कमी के चलते गत्ता उद्योग के सामने बहुत बड़ा संकट पैदा हो गया है। उन्होंने चाईना के साथ पेपर के निर्यात को पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की है। प्रेस को जारी बयान में मुकेश जैन ने कहा कि प्रदेश में ढाई सौ गत्ता उद्योग है। जो जिसमें प्रत्यक्ष व परोक्ष रुप से 50 हजार लोगों को रोजगार मिला है। वर्तमान मे पेपर मिलों से आने वाला पेपर के दाम 9 से 10 रुपये बढ़ गए है। लेकिन गत्ता संचालकों को उनके ग्राहक इतना बढ़ा हुआ रेट नहीं दे सकते है। वहीं यूरोप से आने वाला स्क्रेप भी आना बंद हो गया है। जिससे गत्ता मिल संचालकों के सामने एक ओर परेशानी खड़ी हो गई है। मुकेश जैन ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते पहले ही गत्ता उद्योग प्रभावित हुआ है, लेकिन अब पेपर मिलों की मनमानी व स्क्रेप के न आने से गत्ता उद्योगपतियों को अपना कारोबार चलाना काफी कठिन हो गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से चाईना में हो रहे पेपर मिलों के निर्यात पर तुरंत रोक लगाई जाए। अन्यथा गत्ता उद्योग लगातार घाटे में जाने से बंद हो जाएंगे।
बद्दी ! बद्दी के रिद्धि पैकेजिंग कंपनी के संचालक व गत्ता ऐसोसिएशन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मुकेश जैन ने कहा कि प्रदेश व केंद्र सरकार ने गलत नीतियों के चलते गत्ता संचालकों को कोरोबार खतरे में है। एक ओर केंद्र सरकार के कहना है कि चाईना के माल पूरी तरह से बहिष्कार किया जाए वहीं दूसरी ओर से निर्यात को पूरी तरह से खुला छोड़ रखा है। जिससे चाईना यहां के पेपर लगागार खरीद रहा है। जिससे देश में पेपर की कमी हो गई है। पेपर की कमी के चलते गत्ता उद्योग के सामने बहुत बड़ा संकट पैदा हो गया है। उन्होंने चाईना के साथ पेपर के निर्यात को पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की है। प्रेस को जारी बयान में मुकेश जैन ने कहा कि प्रदेश में ढाई सौ गत्ता उद्योग है। जो जिसमें प्रत्यक्ष व परोक्ष रुप से 50 हजार लोगों को रोजगार मिला है।
वर्तमान मे पेपर मिलों से आने वाला पेपर के दाम 9 से 10 रुपये बढ़ गए है। लेकिन गत्ता संचालकों को उनके ग्राहक इतना बढ़ा हुआ रेट नहीं दे सकते है। वहीं यूरोप से आने वाला स्क्रेप भी आना बंद हो गया है। जिससे गत्ता मिल संचालकों के सामने एक ओर परेशानी खड़ी हो गई है। मुकेश जैन ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते पहले ही गत्ता उद्योग प्रभावित हुआ है, लेकिन अब पेपर मिलों की मनमानी व स्क्रेप के न आने से गत्ता उद्योगपतियों को अपना कारोबार चलाना काफी कठिन हो गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से चाईना में हो रहे पेपर मिलों के निर्यात पर तुरंत रोक लगाई जाए। अन्यथा गत्ता उद्योग लगातार घाटे में जाने से बंद हो जाएंगे।
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