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धर्मशाला , 25 अगस्त ! शहीद मेजर दुर्गामल और कैप्टन दल बहादुर थापा स्मृति मंच दाड़ी द्वारा शुक्रवार को शहीदी दिवस के रूप में मनाया गया। शहीद स्मारक दाड़ी में समारोह में शहीद मेजर दुर्गामल और कैप्टन दल बहादुर थापा को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष व पर्यटन विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष (कैबिनेट रैंक) आरएस बाली ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर श्रद्धांजलि अर्पित की। आरएस बाली ने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को सर्वोच्च बताया। उन्होंने कहा कि हिमाचल वीर भूमि ने बहुत से वीरों को जन्म दिया। वीरों के साथ हमारी रूह जुड़ी हुई है। उनके बलिदान को हम कभी नही भुला सकते। उन्होंने हिमाचल में बरसात से हो रहे नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि, इस प्राकृतिक आपदा में बहुत से लीगों की जाने गई हैं, कइयों ने अपने घरों को टूटते देखा है। इस दौरान शहीद दुर्गामल की बहू मधु गुप्ता ने कहा कि जो हमारे वीर देश की खातिर शहीद हुए हैं उनकी याद में ऐसे कार्यक्रम हर जगह होने चाहिए क्योंकि इन वीरों ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है। उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता संग्राम में आजाद हिंद फौज के प्रखर योद्धा रहे शहीद मेजर दुर्गामल को 25 अगस्त 1944 और कैप्टन दल बहादुर को 3 मई 1945 को अंग्रेज सरकार ने लाल किला दिल्ली में फांसी दी थी। उन्होंने देश की आज़ादी के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से उखाड़ने के लिए शहीद दुर्गामल्ल ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को लगे लगा लिया था, लेकिन उन्होंने माफीनामे पर हस्ताक्षर करने से कतई मना कर दिया था।
धर्मशाला , 25 अगस्त ! शहीद मेजर दुर्गामल और कैप्टन दल बहादुर थापा स्मृति मंच दाड़ी द्वारा शुक्रवार को शहीदी दिवस के रूप में मनाया गया। शहीद स्मारक दाड़ी में समारोह में शहीद मेजर दुर्गामल और कैप्टन दल बहादुर थापा को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष व पर्यटन विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष (कैबिनेट रैंक) आरएस बाली ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
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आरएस बाली ने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को सर्वोच्च बताया। उन्होंने कहा कि हिमाचल वीर भूमि ने बहुत से वीरों को जन्म दिया। वीरों के साथ हमारी रूह जुड़ी हुई है। उनके बलिदान को हम कभी नही भुला सकते। उन्होंने हिमाचल में बरसात से हो रहे नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि, इस प्राकृतिक आपदा में बहुत से लीगों की जाने गई हैं, कइयों ने अपने घरों को टूटते देखा है।
इस दौरान शहीद दुर्गामल की बहू मधु गुप्ता ने कहा कि जो हमारे वीर देश की खातिर शहीद हुए हैं उनकी याद में ऐसे कार्यक्रम हर जगह होने चाहिए क्योंकि इन वीरों ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है।
उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता संग्राम में आजाद हिंद फौज के प्रखर योद्धा रहे शहीद मेजर दुर्गामल को 25 अगस्त 1944 और कैप्टन दल बहादुर को 3 मई 1945 को अंग्रेज सरकार ने लाल किला दिल्ली में फांसी दी थी।
उन्होंने देश की आज़ादी के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से उखाड़ने के लिए शहीद दुर्गामल्ल ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को लगे लगा लिया था, लेकिन उन्होंने माफीनामे पर हस्ताक्षर करने से कतई मना कर दिया था।
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